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॥ श्रीः ॥
कारकवादार्थः ।
श्रीमन्महामहोपाध्यायजयराम पंडितविरचितः.
सच
श्रीकृष्णदासात्मज - गङ्गाविष्णुना
नैजे
"लक्ष्मीवेडुटेश्वर" मुद्रणालये
मुद्रयित्वा प्रकाशं नीतः ।
कल्याण - मुंबई.
संवत् १९५१, शके १८१६.
इस पुस्तक का सर्व प्रकारका हक्क यन्त्राधिकारीने अपने स्वाधीन रक्खा है.
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