SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 83
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (७५) पाकरां कर्म बांधे . तेना दाखला तरीके (गपेली अर्थ दीकिकाना पाना ७२ मामां रजाआर्या')नो कथा ले ते नीचे मुजबः नश आचार्यना गबमां पांचसो साधुजी अने बारसो सावि , तेमना गबमां एक कांजी, पाणी, बीजुं नातर्नु नसामण, त्रीजुं त्रण नकालानुं पाणी, ए त्रण जातनां पाणी सिवाय बीजुं कोई जात, पाणी वापरता नथी, एम करतां कर्म जोगे रजा साध्वीनुं शरीर गलत कोमे बगमथु, ते वारे बीजी साध्वीनए कडं के मुकर उक्कर ! एबुं सांजलीने रज्जा साध्वीए कह्यु के-ए शुं मने कहोगे? ए प्रासुक पाणीए करीनेज मारूं शरीर बगमयुं . एवां साध्वीनां वचन सांजलीने बीजां साध्वीजीनना मनमा श्राव्यु जे आपणने पण प्रासुक पाणीधी गलत कोम थशेएवी बीकलागी, तेथी विचारवा लाग्यां जे प्रा. पणे पण प्रासुक पाणी पीयूँ नही; पण तेमां एक साध्वीजीना मनमां आव्युं जे हमणा अथवा परी मारुं शरीर शमीने कमका थई जाय तो पण मारे तो नष्ण जलज पीवु.नुष्य जल पीवाथी शरीरनो विनाश पाय नही, परंतु पूर्वन्नव कृत अशुन कर्मना नदयधीज शरीरनो विनाश थाय , वा रोग थाय . एम वि. चार करी खेद करवा लाग्यां के धिक्कार होजो ए पापणीने के जे न बोलवा योग्य वचन ए साध्वी बोली जेथी पोते कर्मबंध कर्यो ? ने बीजाने कर्मबंधनी कारणीक भई एम नावतां शुरू अध्यवसायनी गाथा चिंतवतांघाती कर्म नाश करीने केवल ज्ञान पाम्यां, ने केवल ज्ञानना प्रनावे सर्वे साध्वीनना संदेह टाल्या. पठी रजा आर्यानो संदेह पूज्यो जे एने शा थकी रोम प्रयो ते वारे केवली साध्वीए का के ए बाईए करोलीया सहित स्निग्ध आहार कस्यो तेना प्रत्नाव रक्त पीतनो रोग थयो. वली सचित १ साध्वी.
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy