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________________ ( २१३) मर्यादा शुं ते जाणता नयी त्यां सुधी आ वात मान्य पण नाग्ये करशे, माटे ए वात मान्य न करे तो केटला एक शहेरमां जुदी न्यातना जैनीननुं सीधुं लश्ने जमे अने केटला शेहेरमां तो एवो हठ बंधायो के जैनधर्मी पाउलथी थएला एवा लामवा श्रीमाली ने हवे ते पाबळ थया के केम तेनो लेख जोवामां नथी पण तेमनी साथे संबंध हालमां जमवा खावानो नश्री राखता. तेथी जाणीए जीए के पाळथी श्रयेला होवा जोइये कारण जे ओसवाल पोरवाम प्रमुख न्यातो पण आचार्य माहाराजे प्रतिबोध करी स्थापी आपी ने ते स्थापती वखत जे जे धणीए आचार्य महाराजनी आज्ञा पाली ते सरवे ओसवाल थया तेमां झाति नेद रह्यो नथी, तेमज हरिन सुरी महाराजे पोरवाम स्थापती वखते पण एमज थयुं ने अने ते सरवे ओसवाल पोरवाम श्रीमाली विगेरे जमे , तेम लामवा श्रीमालीनामां पण को आचार्य प्ररूप्यु होवू जोइए अने जैन धर्म पामवाथी एक न्यात अएली जणाय ने ते उतां तेमना पैसाथी सीधुं लावेलु ने तेनी रसोइ ओसवाल श्रीमाली पोते रांधी जमवा कहे तो पण ओसवाल प्रमुख जमवानी ना कहे . आ कोश्क प्रकारथी असल हठ बंधायेलो जणाय . ए हठ गेमवा लायक डे कारण के शा कारणथी हल बंधायो ते पण कोश्ने खबर नथी अने ते हठ पकमी बेसवो ए नूल नरेलुं जे. केटलाएक शेहेरमां कणबी तथा नावसार पैसा वा सीधु आपे ते श्रीमाली पो. रवार प्रमुख खुशोथी जमे रे अने वहीवट चालतो आवेलो चाले अने तेवीज रीते लामवा श्रीमाली आ वहीवट चालतो नथी ते चलाववो जरुर जे. पागल ते लोक जमता हता पण आपणे तेमनुं नहीं जमवाथी तेमने खोटुं लागवाथी ते लोक पण आपणुं जमता नश्री.पाश्री शासनमां नेद
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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