SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 219
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२११) ते सहेजे बंध थर जाय. तेश्री अयोग्य स्थानमां कन्यान जश्ने कु:ख पामे नहीं माटे पैसा आपनार लेनार बेने मना करी होय तो ए काम सुधरे.श्रीमाली, पोरवाम, सवाल विगेरे जे जे न्यात जे जे देशवार होय ते सर्वेनी साथे आप लेनो वहीवट करवामां अटकाव ते काढी नांखवो जोइए, अने वली नसवाल श्रीमाली पोरवाम विगेरे दसा विसानो नेदले ते निकली जाय तो वधारे सारं. एमांथी जेम बहु मते सवम थाय तेम करवा जेवू दे. वली जैन धर्मना पालनार केटलीएक न्यातना ले ते आपणा धर्मी नाश्त ने तेमनी सारे एकग जमवानो रिवाज नथी ते पण खराब , कारण के अन्य धर्मी ब्राह्मण वाणीयानुं खाइए बीएते खावामां बाध ले केमके ते लोक आपणे जेने अन्नद कहीए गये ते वस्तु खाय , माटे तेमनुं खावं न.जोइए; ते खावानी प्रवृत्ति ले ते रोकवाथी श्रावकना व्रतमा पुषण नहीं लागे एटलो फायदोडे अने जे जैनी नाश्त गाळेला पाणीना पीनार अन्नकना पण त्याग करनार एवा जैनीननुं न खावं तेथी प्रनुनी आज्ञा न लोपाय एम समजातुं नथी, कारण जे स्वामी नाश्नां तो बहुमान करवां ए समकीतनो आचारले तेना बदलामा तेमने निचा कहेवा तेथीसमकीत केम मलीन नहीं थाय? आजगो ऊपर मने कोई सवाल करशे के तमे केम जाण्या बतां ते प्रमाणे चालता नथी? ते विषे म्हारो जवाब ए के घणा लोक तेम प्र. वृत्ति करता नथी ते प्रवृत्ति हुं करूं तो ते घणा माणस साथे विरोध थाय माटे ते विरोध पोतानी जातीना साथे नथाय तेम हुँ वर्जु ढुं पण म्हारी श्रःक्ष तो बीजी कोमना श्रावक साथे नेद न पाझवो एज डे अने म्हारी मलती श्रक्षावालाने नलामण करूं बु के एक साथे मेलाप कर। एक साथे विरु६ करवू तेथी कांइ फायदो नश्री अने हालमां पण बधा लोको इजु जैन धर्मनी
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy