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________________ (१३) पमी गयो . ए जैन नाश्नमां नेद पमवाथी केटलाएक शासनना काममां घणी गुंचवणो आवे . ते लोक आपणा विचार प्रमाणे चालता नथी ने जो तेमनी साथे ऐक्यता होय तो ते पण आपणा विचारथी जुदा पमी शके नहीं. वली तेमनी पासे आपणे धर्म पामवो ने आपणी पासे तेमने धर्म पामवो सुलन्न पके अने घणीज सुगमता पमे, माटे एकग थQ जमवु खावं तो नुत्तम डे पण ते न बने तो तेमना पैसा लइ जमवानो नेद काढी नांखवो. जेटलो नेद नागशे ते गुणदाइ .सामा त्रासें गाथाना स्तवनमां गच्छमां नेद न पामवा एम साधु महाराज आश। कहे ते तेमज श्रावकमां पण नेद पामवा जोइए नहीं. बे दीलीथी शासनने घणुं नुकशान , वली ममत्वी ओसवाल श्रीमाली प्रमुख ने तो कहे जे अमो ऊंचा बीए ए लोक निचा ले एम बोली तेमनी निंदा करे ने तेथी नीच गोत्र बंधाय ने, कारण के श्रावकनो धर्म पांचमा गुणस्थाननो ने ते गुणस्थानमां म. नुष्यने नीच गोत्रनो कदय ज नथी ते उतां श्रावकने नीच कहेवा ए नूल नरेलु ने कर्मबंधनुं कारण ; वीतरागनी आज्ञा वि. रु. विचारसारनी टीकामा प्रश्न प्रयु डे के हरिकेशी चंमाले दीक्षा लीधी ते उठे सातमे गुण स्थानके वर्चे के अने उठे सातमे गुणस्थानके नीच गोत्रनो ऊदय नथी तेना जवाबमां देव. चंजी महाराज कहे के जेने नरें। जे चक्रवर्ती अने देवेश जे सुधर्म इं६ महाराज नमस्कार करे ने तेने उंच गोत्रनो ज नुदय कहीए, नीच गोत्र नदय होत तो पूजनीक थातज नहीं. पू. जनीकपणुंच गोत्रना नदयथी ज थाय ने. बार व्रतनी पूजामां श्रावकना बहुमान आश्री कडं ले के विरतिने प्रणाम करीने इंश सन्नामां बेसे. गुणस्थानवंत श्रावकने इंश् महाराज नमस्कार करे ने तेवा व्रतवंत ओसवाल श्रीमाली पोरवाम विगरे सि
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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