SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अने पोतानी पासे जोगवाई पण होय एवा पुरुषोने आपवामां लान्न पण जाणतो होय तोपण दान अंतराये करी आपी शके नहि. अने दान अंतराय कर्मनो क्षयोपशम थयो होय, तोपापी शके. अन्नय दान ते कोई जीवने मारी नांखतो दोय तो तेने बचावे. ते जीवने बचावतां पोताने कष्ट वेठ, पमे तो वेठे पण ते जीवने बचावे. वली जे पुरुषोने विशेष दान अंतरायनो क्षयोपशम थयो होय, तेतो पोताना खावा पीवा सारु पण कोई जीवनी हिंसा थवा देता नथी. पोते कष्ट सहन करे. अचित्त (जीव रहित) वस्तु मले तेज ले.नहीं मले तो पण जीवनी हिंसा थाय तेवू ले नहि. पोतानुं मरण थाय ते कबुल करे पण कोई जीवने दुःख थाय एम करे नहि. एवा पुरुषो तो कोई पण कारणे कोई पण जीवने दुःख थाय तेम करे नहि. कारण के जेम मने कांपण पीमा थाय ने तो कुःख यायचे. तेम बीजा जीवने पण दुःख पाय माटे कोईने दुःख थाय ते मारे करवू नहि. आवी रीते वर्तवाथी अन्नयदान थाय. अनुकंपादान ते कोई जीव दुःखी होय ने पोतानी पासे व. स्तु होय तो ते आपीने तेने सुख) करतो, पी ग्रोम) जोगवाई होय तो श्रोतुं प्रापq. वधारे जोगवाई होय तो वधारे आपे. शरीरनी महेनतथी दुःख टलतुं होय तो महेनत करीने तेनुं दुःख टाले. एमां पात्र अपात्रनो विचार नहि. फक्त दुःखी जोवन कुख नांगवानी बुदि. वली जेने ज्ञाननी शक्ति तेमणे अधर्मी जीवने झाननो बोध करवो. ते पण अनुकंपादान ३. औषधादिक होय ते आपीने सुखी करवो. जेम बीजो जीव सुखी श्राय एकी बुड़िए करवू ते अनुकंपा दान जागवू. एनो अंतराय होय तो ए दान खरी जोगवाए करी शके नहि, अने ए अंतरायनो क्षयोपशम यो होय तो ए दान दई शके. आत्रण
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy