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________________ ( १०० ) करवा कहलुं बे, तेनुं कारण जे व्यवहार मार्गमां पुष्ट नयी श्रया ते जीवो निश्चय एकांत वांचवाथी संसारमां लीन श्रइ जाय बे. थने जे व्यवहार मार्गमां मजबूत थएला होय, तेने निश्चय मार्गनुं ज्ञान थवाश्री व्यवहार मार्ग पालता होय, तेनो ग्रहंकार नष्ट श्रइ जाय बे, के जेम प्रभुजीए आत्मतत्त्वमां रमवुं कांबे तेम रमातुं नथी; माटे निज स्वभावमां रमीश ते दिवस पूर्ण धर्म क गला. माटे ते बाबतनी मारामां खामी बे. ते खामी मcihar साधन करवुं. ते साधनमां तत्वज्ञाननां शास्त्र तथा तत्त्वज्ञानना जाणकार पुरुषनी संगत करूं, आम विचारी निश्चय धर्म पामवाना उद्यमी थाय. एटले गुणनी वृद्धि याय, पण जे एम विचारे जे ज्ञान विना क्रिया कायक्लेश बे, माटे क्रिया कर वीज नहीं एम विचारीने क्रिया उपरथी विमुख थाय बे. ते झुं करे बे ? तप न करे त्यारे खाइने पुद्गलनी पुष्टता करे विषय कषायनी वृद्धि करे, प्रतिक्रमणनी क्रिया नकरे, नवराशना वखतमाघे वा बोकरारमामे, वा गप्पां मारे, आवो नकामो वखत जाय ने एव गप्पा मारवानी ठेव परुवाथी वांचवानो अभ्यास पण बुटी जाय बे, पी संसारमां मग्न थाय बे. एवा यएला जोवामां आवे माटे पूर्व पुरुषोए "ज्ञानक्रियाभ्यां मोक्षः" या पाठ मुकला बे. माटे यार्थीए अध्यात्मज्ञाननो अभ्यास करी संसारी विषय कषायन] क्रियाथी मुकावुं जोइए. अने जे कुशलानु बंधी अनुदान वे ते आदरखं जोइए. अने जे जे गुणस्थानमां जे जे क्रिया मुकवानी बे ते मूकवी. अने जे जे क्रिया ग्रहण करवानोबे से ग्रहण करवी तोज़ गुणस्थान चमवानो वखत मले, आत्म विशुद्ध धाय. तेवी तेवी प्रवृत्ति थवाथी अध्यात्म ज्ञान
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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