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________________ (१लए) वस्था अपावानी नथी. पण पोतानी नूल आत्मार्थी समजशे. श्रा नूल अवानुं कारण आगम नहीं मानवां तेज बे, बीजी न. थी. नगवान आहार करता नथी एम माने ले अने नैवेद्य धरे . मे, ते तेमने विचार करवानो . अमारे तो आहार करे ने एम मानवं ने, एटले श्वेतांबरीने बधुं सीधु ने. दिगंबरीकृत समयसार नाटकमां तो कहे जे जे ज्ञानी पुरुषनो नोगले ते निर्जरानो हेतु तो नगवान नग ज्ञानी ? के कर्म बंधनो हेतु श्रशे. एम विचार करे तो आहार करवाथी लगवानने दोष लागे ने ते कहेवु खोटुं वे एम समजाशे. आ वातोनो वधारे विस्तार अध्यात्म मत परीक्षामां , तेथी अही वधारे लखतो नथी. त्यांथी जोइ लेवू. आत्मार्थी जीवने श्वेतांबर दिगंबर मतनी प. रीक्षामां एटलुंज जोवान डे के प्रात्मानो जे स्वन्नाव ते प्रगट घवानुं साधन कया मार्गमां ने ते जोवू. जे जे आत्मा निर्मल थवानां कारणो बंने मार्गमा बताव्यांबे, तेमांथी निकट कया मार्गमां ते जोवू जोशए. केटलाएक अध्यात्मी ग्रंथो दिगंबर मागमां , ते ग्रंथो वांचीने घणा जीवो संसारमा पमी जाय , तेनु कारण एटलुंज जे जेम जशविजयजी नपाध्यायजीए अध्यात्मनां शास्त्र रच्यां ने, तेमां एक ढाल निश्चयनी, तेनी साथे एक ढाल व्यवहारनी, तेथी ते वांचवाथी कोइ मार्गथी नपरांग यता नथी. अने तेम दिगंबरना ग्रंथोमां नथी. तेथी दिगंबरना ग्रंथ वांची निश्चे पामता नश्री अने व्यवहार पालता नथी तेथी जीवो बेमागयी व्रष्ट थाय , एनु कारण एटझुंज के आगम नहीं मा. नवाथी आगममां तो पा कालमां वधारे चार नयनीज व्याख्या
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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