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________________ १७५ ) पूर्ण जो जाणे || नयगरजीत जस वाचा ॥ गुणपर्याय इव्य जो बुझे || सोइ जैन दे साचा । " श्रावी रीते कह्युं ब्रे, ते मुजब वर्ते तेने जैन कहीए तो जेम जैन नाम धरावी एक पक्ष ग्रहण करे तेने जैनमां गया नहीं. तेनुं कारण के ते यथार्थ आत्म साधन करी शके नहीं, ते अन्य दर्शनीमां पण एकांत पक्ष ग्रहण करे तेने वस्तु धर्मनुं यथार्थ ज्ञान नहीं थइ शके, अने वस्तु धर्मना ala faar reafने श्रात्मधर्मना रूपे जागे नहीं, जम धमैंने जम धर्मना रूपे जाणे नहीं. जेवुं श्रात्मानुं लक्षण बे, तेवुं लक्षण जाणे नहीं. परमात्मानुं जेवुं लकण बे तेवुं जाणे नहीं. ते कदापि परमात्मानुं ध्यान करे तो पण सफल शी रीते धाय ? केटला एक कड़े ने जे ईश्वर सिवाय कोई पदार्थ बे नहीं. जम पदार्थ एवं जे कहीए बीए ते त्रांति बे हवे प्रत्यक्ष पदार्थने ांति कहे बे ते माणस तेने अनुसरतुं ध्यान करे तो आत्मकार्य शी रीते थाय ? माटे जे जे वस्तु जेवे रूपे रही छे ते रूपनुं ज्ञान करी ध्यान करे तो कल्याण श्राय; बाकी जे जे जीवने पोताना आत्मानुं कल्याण करवानीज बुद्धि बे, ने ते बुद्धिश्री जे नद्यम करे बे ते परंपराए हितकारी बे, कारण जे आत्म धर्म पामवाना सन्मुख यया बे, तेने सदगुरुनो जोग बने तो ज्ञान धतां वार लागे नहीं; माटे सन्मुख नाव करवो ए सारो बे, तेथी परंपराए कल्याण थशे अने एक पनी बुद्धि मुकी निश्व दृष्टि हृदयमा स्थापी निश्चय प्रगट श्राय एवां कारणो से - aai art कल्याण अशे अने परंपराए इच्छित सुख प्रशे, मां मुख्य शास्त्रज्ञान करवानो वधारे नद्यम राखवो ते ज्ञानने अनुसरता परमावश्री मुकावानां साधन करवां एटले सर्वे श्रेय थशे. प्रश्न- जैनमां वस्तु केटली कही बे ? उत्तर - जम अने चेतन बे पदार्थ बे, एनी व्याख्या प्रश्रम
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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