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________________ (१६ए) करनार क्याथी होय ? पण आ कालने योग्य साधन करी शके एवा नत्तम जीवो तो वर्त्तता नीकली शके. ध्यानादिक करीने समन्नाव दशा लाववी , विषय कषायथी मुक्त श्रवू , कोश मारी जाय को पूजा करी जाय ते बंने नपर तुल्य दशा करवी जोइए, ते करवाना नद्यमी तो नीकलशे, पण केटलाएक धर्मवाला ध्यान करवानुं नाम देइ गांजानी चलमो कुंके , नांग पीए, तेथीज्ञान नष्ट थर जाय,अने कषायादिक वधे , एवा नद्यम करीने कहे जे अमे ध्यान करीए बीए ते केम मनाय ? अन्य दर्शन. मां पण केटलाएक वेदीया ढोर कहेवाय ते कोने कहे ? के जे वेदांतनी वातो करे, तेनी कथा करे, अने विषय कषायमां वर्ने त्यारे कहे जे ए जमर्नु काम जम करे ले तेमांप्रमारे ? जेखावानुं मन थयुं ते खावू, नोगनी वा थर ते नोग करवा, कंश पण जम कर्तव्य रोकवू नहीं. आवो धर्म पाली पोतानी वा प्रमाणे विषय कषायमां वर्ने अने कहे जे अमे ध्यानी जीए. तेने उनियामां वेदीया ढोर कह्या . पातंजली योगशास्त्रमा अष्टांग जोग साधवा कह्या ने तेमां प्रथम जोग यम , ते पांच वस्तुना त्यागथी कद्या . जीवहिंसा, जूट, चोरी, मैथुन, परिग्रह ए पांच वस्तुनो त्याग थाय त्यारे यमनामा जोग प्रगटे. त्यारबाद बीजो जोग नियमनामा कह्यो , तेमां शौच, संतोष, तप स. जाय ध्यान, अने ईश्वरध्यान आ पांच वस्तु करवानी कही, तो ए जेम जैनमा व्यवहार कह्यो , तेमज योगशास्त्रमा कह्यो. वलीत्रीजा जोगमा आसननो जोग करवो ने, स्थीर आसन करवू, ए त्रण जोग थया पगी चोथो प्राणायाम जोग थाय, तेमां रे. चक, पुरक, कुंनक करवं कj .आ हठ समाधियोग . त्यारबाद पांचमो जोग प्रत्याहार , तेमां पांचे इंझिना विषयनो संवर पाय ठे, संसारथी तथा जमनावथी विमुख श्राय डे, तत्त्वबोध
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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