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________________ (१६५) बेसे, तेमना पगे मनः पर्यवज्ञानी, अवधिज्ञानी, चौदपूर्वधर, दशपूर्वधर, नवपूर्वघर, अने लब्धिवंत मुनि पूर्वारे पेसे. जगवंतने त्रण प्रदक्षिणा देइ नमस्कार करी नमोतीर्थाय, नमोगणधरेन्यो, नमो केवलिन्यः एवी रोते नमस्कार करी केवलज्ञानीनी पाउल बेसे. पठी बीजा सर्व साधुजी पूर्वने छारे प्रवेश करीने त्रण प्रदक्षिणा दे नमस्कार करी “नमस्तीर्थाय,” नमोगणनृदम्यो, नमः केवलिन्यो, नमोऽअतिशयज्ञानियो एवी रीते नमस्कार करीने पूर्वे बेठेलानी पाउल ते साधुजी बेसे. पी वैमानिकदेवी पूर्वधारे प्रवेश करीने नगवंतने त्रण प्रदक्षिणा देश नमस्कार करी, नमस्तीर्थाय, नमः सर्वसाधुन्य एवी रीते नमः स्कार करीने साधुजीनी पाउल बेसे. पली साधवीजी पूर्वधारे प्र. वेश करीने नगवंतने त्रण प्रदक्षिणा देने नमस्कार करीने वैमानिक देवीनी पाठल रहे. नवनपतिनी, व्यंतरनी, ज्योसीनी देवीन दक्षिण हारे प्रवेश करे. नगवंतने बैमानिकनी देवीनी पेठे प्रदक्षिणादि करीने दक्षिण पश्चिमनी वचमा रहे ते अनुक्रमे रहे. त्यारबाद नवनपति, ज्योत्सी, वागव्यंतरमा सुर पश्चिमधारे प्रवेश करीनगवंतने प्रदक्षिणादिक दश् नमस्कार करीने पश्चिम अने नुत्तर वच्चे यथाक्रमे बेसे. वैमानिकदेव तथा मनुष्य अने मनुष्यनी स्त्री एत्रण नुत्तरधारे प्रवेश करे, नगवानने प्रदक्षिणादि देश नमस्कार करीने पूर्वने नत्तर बच्चे यथाक्रमे बेले. आ मुजब बार पर्षदा समवसरणमां सांजलवा बेसे . त्यां नगवानना अतिशयना प्रत्नावधी त्रण पासे नगवामनुं प्रतिबिंब समवसरणमां देवता करे, तेश्री चारे पासे बेठेला नगवंतनेज जुए के ने चारे मुखे देशना दे , एम बधाना समज्यामां आवे . देशनानी एवी खुबो के जेना जेना मनमां जे जे शंका पमे ने, ते ते नगवान जाणी लेश ज्ञानथी उत्तर आपे , कोश्ने प्रश्न
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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