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________________ ( १६४ ) saने विषे समय समय अनंता पर्याय परावर्त्तमान थइ रह्या बे, ते एक एक मां पूर्वकाल एटले जे कालनो बेको नथी तथा प्रावता कालमां पर्याय थवाना ते सर्वे एकी वखते जाएगी शके एवं ज्ञान जेमने प्राप्त ययुं बे, आत्मानी अनंत वीर्यशक्ति प्राप्त यह बे; एवा आत्माना समस्त गुण प्रगट थया बे, तेना प्रज्ञावेज देवतान फटिक रत्नमय समवसरणनी रचना करे बे, त्रण गढ रचे वे, तेमां त्रीजा गढमां देवता सिंहासन थापे वे, ते सिंहासन पर बेसीने भगवान देशना आपे वे, ते देशना केवी बे ? के मां पोतानो कं प्रकारनो लाज रह्यो नथी, कोइ प्रकारे धन के स्त्रीनी स्वप्नामां पण इच्छा नथी. जेने धनादिकनी तथा माननी इच्छा रही बे ते धर्म उपदेश प्रापे तेमां स्वार्थ राखीने पेढे, ने स्वार्थ ज्यां श्राव्यो त्यां खरा धर्मना स्वरूपनो दर्शाव तो नथी, तेम सांभलनारनुं ध्यान पण उपदेशकना स्वार्थ उपर जवाथी तेमनो उपदेश सांभलनारने लाभकारी थतो नथी, कारण दमेश जे धर्म उपदेश देनार जेवो नृपदेश दे ते रीते ते पोते वर्त्तता नथी, त्यारे सांभलनार विचारे के गुरुजी श्री वा जगवानी पण ए रीते चलातुं नश्री, तो आपण शी रीते चालीए, एम विचारीने पोते जे स्थितिमां बे तेमांज कायम रहे बे, पण श्रात्माना गुण प्रगट करवाने उत्सुक थता नी; अने जेने अढार दूषण गयां बे, तेमने तो वीतराग दशा प्रगट बे, कोइ पण वस्तु नपर रागद्वेष रह्यो नथी, केवल जगतना जीवने तारवा सारु पृथ्वी नपर विचर । धर्म नृपदेश दे बे, तेथी सांजलनारनुं पण कल्याण थाय बे. सांजलवा बार पर्षदा बेसे बे. अधिकार शतक नामना प्रश्नोत्तरमांश्री लखुंटुं. केवलज्ञानी महाराज पूर्व द्वारेथी प्रवेश करे, जिनने त्रा प्रदक्षिणा करीने " नमोतीव्थस्स” कहीने पूर्व अने दक्षिण बच्चे, ए
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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