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________________ जे आ तिर्यंचनें धन उपर प्रेम समजथी के वगर समजयो के तेनो तमाशो जोवा सारु नंदरनी सोना मोहर नचकी लीधी एटले योमीवार तरफमीयां मारी नंदर कालधर्मने पाम्यो. पठी कुमारपाल बहु दलगीर या ने तेहता पायचित्तमा पोते मुंदरीयो प्रासाद बांध्यो.ए नपरथी जुओ के तियंचने पण धननी केटली तृष्णा ले तो मनुष्यने तो धनश्रीज बधो कारनार चाले , तेनुं धन कोइ चोरी जाय तो ते धनवालाने स्त्र थवाने बाकी रहेतुं नथी. उनीयामां शरीरनी पीमा करतां मननी पीमा वधारे थाय . केटलीएक वखत धन जाय डे के माणस मरी जाय ने तो तेनाथी माणसनुं शरीर सुका जाय ले तो ए शरीर सु. काय ने ते. मननी पीमाथी सुकाय , वास्ते तेथी पण सामा प्राणीने मुख थाय . मैथुन पारकी स्त्री साथे करवाथी तेहना धणीने तथा तेना मातापिताने केटलु उख थाय २ ते प्रसिहले. को वखत जार पुरुषनो जीव जाय . केटलीएक वखत ते स्त्रीनो जान जाय . केटलाक वखत स्त्रीना धणीनो जीव जाय . कदापि जीव न जाय तो रात दीवस एहनी पीमा साले . वली स्वस्त्रीनी सा नोग करवाश्री योनिमां समुर्बिम जीव अ. संख्याता हणाय ने तो ते जीवने उख थाय . वली पोतार्नु शरीर पण नरम पमे , पोताना शरीरे ऽख पाय , एमज प. रिग्रहनी हा होय त्यां सुधी हरेक प्रकारे धन मेलवq तेमां लुच्चा उगाइ करतां बीहतानश्री.जु बोलतां बीहता नश्री कोइ नो प्राण लेतां बीहता नश्री. पोते पण विचित्र प्रकारे सुखी थाय . ए परिग्रहनी मुर्गनां फल ए पांचे. अव्रत एहवां के एक सेवतां बीजूं सेवाइ जाय तेथी नगवंते पांचे अवतनो त्याग कर्यो , अने एज नपदेश नगवाननो के हरेक प्रकारे अवतनो त्याग करवो जोइए. जो विशेष विशुदि श्राय ने सर्व
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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