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________________ (१५५) ववाना निमित्तन्नुत पांचे इंशीना तेवीश विषय तथा मननी चपलता ज्यां सुधी पांचे इंशी अने मन मोकलुं , तेनी कामना बनी रही , त्यां सुधी कायनी हिंसा रोकाती नश्री. हवे ए विषय ले ते आ लोक अने परलोक बनेमां उखना आपनार में जेमके आपणने को सोय शरीरने अमकामे ले तेथी केटली पीमा थाय . वली दाक्तर कंश गुमहुं वीगेरे अयुं होय ने कापवाने नसतर मुके ले ने कापे तो आंखमाथी आंसु जरे ,वली बुम पण एटली पो के तेथी बीजाने धास्ती लागे. सर्वेने अनुनव एनो ने तेथी लखवानी जरुर नथी. तो जेम आपणने मुख थाय , पीमा थाय , तेमज बीजा जीवने कापीए तो तेहने केम दुःख नथाय? अवश्य उख थायज.ते उखथी तेनुं मन पण उन्नाय तो. ते सरकारमा फरीयाद करे तो आपणने शिक्षा पण थाय. व खते फरीयाद न करे ने जबरो होय तो मार मारे तो प्रत्यक्ष मुख नोगवq पर्छ . कोइ माणसने ते वखत तेने साहाजकारी न होय तो पो पण साहाजकार। मलेथी मुख दे ले तो ए प्रमाणे बीजा जीवने सुख देवाश्री उख आ लोकमां नोगव, पमे . तेमज जे जीवनी हालमां शक्ती न होय तो श्रावते नव ते जीवने शक्ती मलेथी मुख देशे वा नर्कादीकमां परमाधामी वीगेरे सुख देशे माटे एकेडीथी ते पंचेंही सुधीना जीवोमां को पण जीवने मुख देवू नही एवी बुद्धि प्राप्त थशे तो हिंसा करवानी बुद्धि थशेज नही. जुहूं बोलवाथी पण बीजा जीवने मुख थशे तेमज चोरी करवाथी पण ते जीवने उखनो पार रहेतो नश्री, कारण के गरीब वा करोमपति कोश्ने पण धननी हा शांत थ नथो अने ते धन लश् जाय तो केम उख न थाय? अर्थात थायज. जेम कुमारपाल राजा एक सुंदर मोहरो काढी तेनी साथे गेल करतो इतो ते जोयो, ते उपरथी मनमां आव्यु
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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