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________________ (१०६) विजोगथवानो.जे जे वस्तुनोजेजेस्वन्नाव,तेजाणीने जराए शोक करता नथी.वली धन जाय , गुमास्तो जाय , वस्त्र जाय बे, घर जाय , एवी इलित वस्तुना जवाथी शोक करे ,तेमां विचारवान के इबित वस्तु पूर्वना पुन्यथी भीर रहे , पुन्य पुरु ययुं के विजोग थाय . पी गत वस्तुनो शोक करवाथी कांई फायदो नश्री. केटलाएक माणसने अपमान थवाथी शोक थाय बे, पण अपमान तो नहि करवा योग काम करवाथी वा नदि बोलवा योग बोलवाथी पाय , वा पुन्यनी खामीथी अपमान श्राय , माटे ते काम तजे तो अपमान थाय नही, शोक करवाथी फायदो नथी, ते उतां शोक करे , एवी रीते जे जे बाबतनो शोक करे ले ते ते बाबतथी पाप कर्म बंधाय , शोक की शरीर नरम थाय , बुझिनी पण हानि थाय ने, शोकनां कारण हग्वानो पण नद्यम थतो नथी, तेथी वधारे शोक उत्पन्न थाय .आ प्रमाणे प्रत्यक्ष फलने पण अज्ञानपणे जीव विचारता नथी, अने जे ज्ञानी पुरुष ले तेमने शोकनां कारण उत्पन्न बाय , तो तेमांनावे के मारा आत्मा शिवाय बीजो मारो पदार्थ नयो. जे पुद्गलीक वस्तु ले तेतो संजोग विजोग संजुक्त ने, ए. टले मारे शी बाबतनो शोक करवो. जे जे बने २ ते पूर्वे कर्म बांध्यां , तेने अनुसरतुं बने .माटे जे जे कर्म नदय आव्यां ते ते समन्नावे नोगववां, एटले ते कर्मनी निर्जरा थाय अने आत्मा निर्मल पाय, एवी दशा बनी जाय तो जीवने शोक प्राय ज नहि. लगवान तो आत्मगुण सिवाय बीजी परन्नाव दशा जे जे जमनावनी वर्ने तेमां रागष करे ज नहि, तेमणे शोक मोहनी कर्मनो नाश करी पोताना आत्माना गुण प्रगट कर्या: वली जेने आत्माना गुण प्रगट करवा होय तेणे तेमज वर्तवू के आत्माना गुण प्रगट थाय.
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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