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________________ (१०५) नधी, तेवीज रीते कोई जीवने दुःख थाय एवी वर्तना करवी नहि के सहेजे अकीर्तिनो नय टली जशे. आ रीते साते नयने जागीने जेम महात्मा पुरुषोए निर्नय दशा प्रगट करी तेम करवू. श्रात्म गुण प्रगट कयों के ते गुण जवानो नय राखवो पमशेज नहि, ते नित्य गुण . अनित्य गुणनो मोह ले त्यां मुधी जीवने नय रहेशे वास्ते त्याग करवो, एटले सहेजे नय टली जशे. १० शोकनामा दूषण. ते संसारी जीवने रात दिवस लागो रह्यं . कुटुंबमांथी मांडु प्राय वा कोई मरी जाय तो मा स शोक एटलो करे ने के, केटलाएक माणस अती शोके मरी जाय , वा मांदा पमे, शरीर सुका जाय , केटलीएक स्त्री गतीमांथी लोही काढे , केटलीएकनी गतीमां दरद थाय , आवी नपाधि शरीरने श्राय , तेना नपर लक्ष न देतां ते काम कयाँ जाय डे, आवां फल पामवानुं कारण अज्ञानता ने. वली बजारनी अंदर महोटा चकला उपर पण एवी तरहथी कूटवाथी बोजा जीवने पण ए दुःख जोई दीलगीरी पाय . हालना राजकर्त्तानने ते वात पसंद नथी. तेमज राजधारीना अधिकारीनने पण ते वात पसंद नश्री, तेम उतां आ काम करे . वली केटलीएकना मनमां तो एवं परा रहे ले के, आपणे कूटशुं नहि तो लोकमां शोनानहीं रहे, एटले कूटीनेपण लोकमां शोन्नालेवी.आकेटलीबधीमुर्खता? विज्ञानाने पण बहु दीलगीर आवे .आ नुकशान तो आलोक संबंधी , वली परनवने विषे ए पापने लीधेज नरक, तिर्यंचनी गतिने पामे , तो आवां काम करवाश्री आलोकतथा परलोकमांबे ठेकाणेकुःख नोगववानांथाय ने. वली ज्ञानवंत पुरुषोतो एटलो विचार करे के, जे चीजनो संजोग तेनो वियोग ने ज. कांतो आपणे कुटुंबने मुकीने जइए, अथवा कुटुंब आपणने मुकीने जाय, आ बेमांथी एक रीते
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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