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________________ (१३) न होय तो रोग प्राववानो नय, एवा नय बदल तपस्या प्रमुख करे नहि. तपस्या करवाथी नवु वेदनी कर्म नदय आववानुं ते कय थाय डे अने ते बदल अवला विचार करे ते मूढतानुं लक्षण , अने आत्मार्थी जीवो तो वेदनाथी बीता नथी. वेदना थाय तो विचारे , के पूर्वे जे जे वेदनी कर्म बांध्यांचे ते आवा बोधना (ज्ञानना) वखतमां नदय आवशे तो समन्नाव जोगवीश,अने घणा काल दुःख नोगववानुं ते थोमा कालमा नोगवई जशे. नवो कर्म बंध थशे नहि.वली विशेष विशुध्विंततो जाये के वेदना थाय ने ते शरीरने थाय , मारा आत्माने थती नथी, एवीज रीते महावीर स्वामी नगवानने सखत नपसर्ग संगम देवे तथा व्यंतरीए कर्या पण जराए नय धारण को नहि, ने वेदनानुं दुःख धारण कयुं नहि, तो पोताना आत्मानो केवल ज्ञान गुण प्रगट कर्यो, तेमज जेने पोताना आत्मानुं कल्याण करवू ले तेणे पण महावीर स्वामी नगवाननो मार्ग धारण करवो, के पनी कोई तरेहनो लय रहेशे नहि, ने निर्नय दशा प्रगट थशे. ६ मरण नय ते प्रसिज . अनादि कालनी मरण थवानी संज्ञा चाली आवे , तेने प्रत्नावे देवता पण आवतानवनो, उ मास अगान बंध करे त्यारथी रे. तेमज मनुष्यनी स. मजनी नमर थाय त्यारथी मरण नयनी विचारणा श्रया करे ३. दवे जे ज्ञानी पुरुषो ने ते अंश मात्र पण मरणनोनय करता नथी, कारण के आत्मा मरतो नथी. मरेले ते पुद्गल . तो जेटली आनखानी स्थीति ने त्यां सुधी आ शरीरमां रहे, बे, तो नय शा माटे करवो. कदापी संज्ञाथी चित्तमां आवे तो विचारे जे धानखानी चंचलता . तो धर्म साधन करवामां प्रमाद न करयो, कारण जे धर्म साधन मोदनुं करवू ले तेतो म. नुष्यनी गतिमां थई शकेले. बीजी गतिमां एवं साधन थवानुं
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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