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यात्रियों के लिए शौचालय की व्यवस्था भी रखी गयी है। दायीं तरफ पेढी का आफिस आता है। आगे यात्रियों के लिए स्नानगृह बनाये हुए है। स्नान करने के लिए गरम पानी की व्यवस्था भी यहीं पर है। दायीं ओर पीने के लिए गरम पानी की व्यवस्था है। वहाँ से आगे गिरनार मंडन श्री नेमिनाथ परमात्मा के मुख्य जिनालय के दक्षिण दिशा तरफ का प्रवेश द्वार आता है। यह चौक 130 फुट चौडा और 170 फुट लम्बा है, जिसमें मुख्य जिनालय की प्रदक्षिणा भूमि में 84 देवकुलिका हैं। जिनालय के दक्षिण द्वार के बाहर ही दायीं ओर श्री अंबिकादेवी की देवकुलिका है।
गिरनार महातीर्थ तथा श्री नेमिनाथ भगवान के शासन की अधिष्ठायिका देवी श्री अंबिका देवी की यहाँ सुंदर मूर्ति है। उसका अचिन्त्य प्रभाव है। जिनालय में प्रवेश करने से पहले उसके दर्शन अवश्य करने चाहिए। (क) श्री नेमिनाथ जिनालय : श्री नेमिनाथ भगवान (61 इंच)
श्री नेमिनाथ जिनालय के प्रागंण में प्रवेश करते ही श्री नेमिनाथ भगवान के विशाल एवं भव्य गगनचुंबी शिखरबंध जिनालय के दर्शन होते हैं। इस जिनालय के दक्षिण द्वार से प्रवेश करते ही 41.6 फुट चौडा और 44.6 फुट लंबा रंगमंडप आता है। उसके मुख्य गर्भगृह में गिरनार गिरिभूषण श्री नेमिनाथ परमात्मा की मनहरणी श्यामवर्णी नयनरम्य प्रतिमा बिराजमान है। मूलनायक श्री नेमिनाथ परमात्मा की यह प्रतिमा पूरे विश्व में वर्तमान में सबसे प्राचीनतम प्रतिमा है। यह प्रतिमा 165750 वर्ष न्यून 20 कोडाकोडी सागरोपम वर्ष प्राचीन है। श्री नेमिनाथ भगवान के निर्वाण के 2000 वर्ष बाद रत्नसार श्रावक द्वारा इस प्रतिमा की गिरनार तीर्थ में प्रतिष्ठा कराई गयी थी। अरबों वर्ष तक पाँचवें देवलोक में तथा श्री नेमिनाथ प्रभु की हाजरी में द्वारिका नगरी में श्री कृष्ण के जिनालय में
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त्रितीर्थी