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25. सहसाम्रवन में कृष्ण वासुदेव द्वारा रजत, सुवर्ण और रत्नजडित
प्रतिमा युक्त तीन जिनालयों का निर्माण हुआ था। 26. सहसाम्रवन में सोने के चैत्यों में मनोहर चौबीसी का निर्माण किया
गया था। 27. सहसाम्रवन की एक गुफा में भूत, भविष्य और वर्तमान ऐसे तीन
चौबीसी के बहत्तर तीर्थकरों की प्रतिमाजी विराजमान हैं। 28. सहसाम्रवन में श्री रहनेमिजी और साध्वी राजीमतिश्रीजी आदि
मोक्षपद प्राप्त कर चुके है। 29. सहसाम्रवन में अभी भी प्राचीन कालीन श्री नेमिनाथ परमात्मा की
प्रतिमायुक्त अद्भुत समवसरण मंदिर है। 30. गिरनार महातीर्थ की पहली ट्रंक पर अभी भी चौदह-चौदह बेमिसाल
जिनालय पर्वत के ऊपर तिलक समान शोभित हो रहे हैं। 31. भारत भर में मूलनायक के रूप में तीर्थकर नहीं होते हुए भी सामान्य
केवली सिद्धात्मा श्री रहनेमिजी का एकमात्र जिनालय गिरनार
महातीर्थ पर सहसाम्रवन में बना हुआ है। 32. श्री हेमचंद्राचार्य, श्री बप्पभटसूरि, श्री वस्तुपाल-तेजपाल, श्री पेथडशा
आदि अनेक पुण्यात्माओं को सहायता करने वाली, गिरनार महातीर्थ की अधिष्ठायिका देवी श्री अंबिका देवीजी आज भी यहाँ मौजूद है।
गिरनार तीर्थ