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निन्नाणवे यात्रा (छठू अठुम) की विधि
वर्तमान चोबीशी के आद्य तीर्थंकर आदीश्वर भगवान यानि ऋषभदेव हुए हैं, वे अपने आयुष्य के शेष रहे हुए एक लाख पूर्व वर्ष में ९९ पूर्व बार इस तीर्थ राज पर आकर के समवसरे थे। इस कारण से ९९ यात्रा की महिमा हुई है और इसके अनुकरण के रूप में ९९ यात्रा की जाती है। उसकी विधि निम्नलिखित है। (१) नवाणु (निन्नाणवे) यात्रा करने वाले को नित्य-नित्य पांच चैत्यवन्दन
करने चाहिये:(१) श्री गिरिराज के सम्मुख तलहटी पर। (२) श्री शान्तिनाथ भगवान के जिनालय में। (३) श्री रायण पादुका के सामने। (४) श्री पुण्डरिक स्वामी के मन्दिर में। (५) मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान के जिनालय में तथा इन
पाँचों स्थानों पर एक-एक बार स्नात्र पूजा पढ़ानी चाहिए। (२) एक-एक यात्रा के अनुसार प्रतिदिन दस बंधी (पक्की) माला
गिननी चाहिए, ताकि 'नवाणु' (निन्नाणवे) पूर्ण होने पर एक
लाख नवकार मंत्र पूर्ण हो जायें। (३) निन्नाणवे यात्रा करने वाले को नित्य दोनों समय प्रतिक्रमण करना
चाहिये, सचित्त वस्तु का त्याग, पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन, शक्ति
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त्रितीर्थी