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नित्य आराधना
(1) सुबह-शाम प्रतिक्रमण
(2) जिनपूजा तथा कम से कम एक बार मूलनायक भगवान का चैत्यवंदन।
(3) कम से कम एकाशन का पच्चक्खाण। (4) भूमि शयन। (5) हरेक यात्रा में मूलनायक की 3 प्रदक्षिणा। (6) तीर्थ के अनुसार मूलनायक भगवान की माला व जाप।
जिस तीर्थ की भी यात्रा की जाए उस तीर्थ के मूलनायक भगवान की श्रद्धापूर्वक सेवा, पूजा, भक्ति आदि करनी चाहिए। जितना कर सकें, उतनी आराधना करनी चाहिए।
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त्रितीर्थी