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श्री गिरनार महातीर्थ की 99 यात्रा की विधि
श्री गिरनार महातीर्थ भूतकाल में अनंत तीर्थंकरों के कल्याणक, वर्तमान चौबीसी के बाईसवें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ परमात्मा की दीक्षाकेवलज्ञान और मोक्ष कल्याणक और आनेवाली चौबीसी के 24 तीर्थंकरों के मोक्ष कल्याणक यहाँ होने से पावन भूमि बनी हुई है। इस महातीर्थ की 99 यात्रा की विधि के लिए शास्त्रों में कोई विशेष उल्लेख नहीं आता है । परन्तु पश्चिमि भारत में तीर्थंकर के मात्र ये तीन कल्याणक ही होने के कारण इस महाकल्याणकारी भूमि के दर्शन पूजन और स्पर्शना द्वारा अनेक भव्यात्मा आत्मकल्याण की आराधना में विशेष वेग ला सके उसके लिए पुष्ट आलंबन स्वरुप गिरनार गिरिवर की 99 यात्राओं का आयोजन किया जाता है।
गिरनार के पाँच चैत्यवंदन तथा 99 यात्रा
(1) जय तलहटी में आदिनाथ भगवान के जिनालय में ।
(2) जय तलहटी में नेमिनाथ परमात्मा की चरण पादुका के सामने । (3) फिर यात्रा करके नेमिनाथ दादा की प्रथम ट्रंक में मूल नायक । (4) मुख्य देरासर के पीछे आदिनाथ के मंदिर में ।
(5) अमिझरा पाश्र्वनाथ का चैत्यवंदन करना अथवा नेमिनाथ परमात्मा की चरण पादुका के सामने। वहाँ से सहसावन (दीक्षा - केवलज्ञान कल्याणक), अथवा जय तलहटी आने पर प्रथम यात्रा पूर्ण हुई
त्रितीर्थी
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