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आती है जहाँ उबले हुए पानी की व्यवस्था भी उपलब्ध है। वहाँ से 1200 सीढियाँ उतरकर लगभग आधा किलोमीटर चलकर जाने पर गिरनार की तलहटी आती है।
सहस्त्राम्रवन में श्री नेमिनाथ प्रभु के केवलज्ञान और दीक्षा कल्याणक के अलावा भी अन्य ऐतिहासिक प्रसंग हुए है। * सहसावन में करोडों देवताओं के द्वारा श्री नेमिनाथ भगवन का प्रथम
तथा अंतिम समवसरण रचाया गया था। सहसावन में साध्वी राजीमतीजी तथा श्री रहनेमि ने मोक्ष पद प्राप्त किया था। सहसावन में श्री कृष्णवासुदेव के द्वारा सुवर्ण और रत्नमय प्रतिमाजी
युक्त तीन जिनालयों का निर्माण कराया गया था। * सहसावन में सोने के चैत्य में मनोहर चौबीशी का निर्माण करवाया
गया था।
सहसावन के पास लक्षाराम में एक गुफा में तीनों काल की चौबीसी के बहोत्तर तीर्थंकर भगवान की प्रतिमायें बिराजमान की गयी हैं।
गिरनार तीर्थ