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जैनधर्मसिंधु.
वीरायसूधी पबै लघु शांति कदै पबे सामायक पारै ॥ दवे राई प्रतिक्रमण विधि ॥
॥ एक खमासमा देई ॥ इचा० सं०ज० ॥ चै त्यवंदन करूं (गुरुं क करे) इवं ॥ कही जय
सामी २ रिस दसेतुंज उर्जित पहुनेमि जि जयन वीरसच्चनरमंगण नरुच्चदिमुणिसुवयम दुरिपास दरियखंडण प्रवर विदेहिंतिचयर चिहुं दिशिविदिशि जंकेवि तीच्णागयसं पयं वंडुं जिसधेवि कम्मनुमिदिं २ पढमसंघयण नक्कोसन सत्तरिस नजिणवराणविहरंत लग्नई नवको के लिए को डिसदसनव साहू संपय सं पइ जिणवरवीसमुज्यिको मिवरनाण समणा को मिसदसऽयथु णिजय पिच्च विहाण सत्ताण वइ सदस्सा लरका उपन्न कोडिजे चनसय बयासिया तिल के चेये वंदे वंदेनवको डिसयं पणवीसं कोडि लक तेपन्ना अठावीस सदस्सा चसय हासिया पमिमा ॥ जं किचि इत्यादि जयवीरायसूधी चैत्यवंदन करे || पबै खमा० देई ॥ इकारेण संदिस्सदै ज० कुसुमिण ड समिराई प्रायचित्त विसोदाचं करेमि का