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प्रथमपरिच्छेद.
रिखो, नहीं कोइबीजो रे मुक्तिनो साथ ॥ ० ॥ ॥ ६ ॥ वेदना जो मुऊ उपशमे, तो लेनं संजम जा र ॥ इम चिंतवतां वेदन गई, व्रत लीधुं में दर्ष अपार ॥ ० ॥ ७ ॥ कर जोमी राय गुण स्त वे, धन धन ए अणगार || श्रेणिक समकित पामीयो, वांदी पोहोतो रे नगर मकार ॥ श्रे० ॥ ॥ ८ ॥ मुनि अनाथी गावतां तूटे कर्मनीकोड गणि समय सुंदर तेहना, पाय वंदे रे बे कर जोड | ॥॥ इति नाथीनी सद्याय ॥८॥ ॥ अथ सामायिक लेवानो विधि
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॥ प्रथम उंचें सनें पुस्तक प्रमुख मूकी श्रावक श्राविका कटासणुं, मुहपत्ती, चरवलो लेइ, शुरू वस्त्र, जग्या पूंजी, कटासा उपरवे सी, मुहपत्ती डाबा दाथमां मुख पासें राखी, जमणो हाथ थापनाजी सन्मुख राखी, एक न चकार गणी, पचिंद कदीयें; ने जो आ गलथी ते स्थानकें प्राचार्यप्रमुखनी स्थापना क रेली होय, तो तिदां पंचिदिय न कहेवुं, पबी इ चामि खमासमण देइ, इरियावदिया तथा त स्स उत्तरी ने अन्न उससीएणं कदी, एक
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