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आशीर्वाद.
श्रीयुत् महाशय चुन्नीलालजी साहब
अ. सु. ४ सं.
पत्र आया समाचार जाने आप की योग्यता को पत्र से जानकर महती प्रसन्नता हुई - किन्तु मेरे विषयमें जो लिखा वह बहुत ही अधिक है - यह लिखना मेरेको रुचिकर न हुवा - किन्तु वह निश्चय होगया जो पुस्तक उत्तम लिखी होगी - मेरे द्वारा तौ आपका कोई भी उपकार नहीं हुवा; अतः मुजे समर्पणकी जावे यह मैं कैसे लिखुं - आपका प्रयास सफल हो, जनता लाभ उठावे, मेरी ये मनो भावना है.
गणेशवर्णी
योग्यदर्शन विशुद्धिः इच्छाकार
२०१०
जैन भवन - गया.