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श्रेष्ठिगोत्र और समरसिंह।
और कर्तव्यनिष्ठ होगी जिसके द्वारा अनेक देवमन्दिरों की प्रतिष्ठा होंगी । आपकी चतुर्थ पीढी में तो ऐसे भाग्यशाली व्यक्ति उत्पन्न होंगे जो शत्रुजय महातीर्थ के उद्धार कराने में समर्थ होंगे जिससे भाप का कुल अक्षय कीर्ति प्राप्त करेगा । उस उद्धार के कारण
आपके वंश की ख्याति देश और विदेशों में अनेक वर्षांतक प्रसारित होगी । मैं आपके शकुनोंके अनुसार यह प्रमाणपूर्वक उद्घोषणा करता हूँ कि उपर्युक्त सब बातें अवश्य सत्य होंगी।
शकुनों के ऐसे अनुपम फलको विद्वान ज्योतिषी द्वारा सुनकर सलक्षण का चित्त अति प्रफुल्लित हुआ । भविष्यवेत्ता को उपहारमें वस्त्राभूषण और बहुतसा द्रव्य दिया गया। सलक्षणने रथमें विराजित श्रीपार्श्वनाथ भगवान के सामने मस्तक झुकाकर नमस्कार किया। बादमें सलक्षणने नगर में रहे हुए सारे गुरुओं का वंदन किया । रहने के लिये एक सुन्दर स्वास्थ्यप्रद भवनको चुनकर उसमें निवास करना प्रारंभ कर दिया । शकुनों के फलस्वरूप व्यापारद्वारा श्रेष्टिवर्यने अखूट लक्ष्मी उपार्जन की । क्यों न हो ऐसे भाग्यशाली नररत्नों को, जो जवाहरातका व्यापार करते हों, अवश्य गहरी सम्पत्ति प्राप्त हुई थी।
___ उस नगरमें उपकेशगच्छीय उपासक अनेक धनी मानी व्यक्ति रहते थे। श्री पार्श्वनाथ भगवान के मन्दिरजी की देखरेख भी इसी गच्छवालों के संघके सुपूर्द थी। क्योंकि सलक्षणने थोड़े ही समय में इस नगरमें रहकर विशेष ख्याति प्राप्त कर ली थी।