SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 278
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समरा रास. षष्ठी भाषा वाजिय संख असंख नादि काहल दुडुदुडिया | घोडे चडइ सन्चारसार राउत सींगडिया | तर देवालउ जोत्रि वेग घाघरिरवु झमकइ । सम विसम नवि गणइ कोइ नवि वारिउ थक्क | १ ॥ सिजवाला घर घडहडइ वाहिणि बहुवोगे । धरणि धडक रजु ऊडए नवि सूझइ मागो । इय सइ आरसह करह वेग वह बद्दल्ल | साद किया थाहरs अवरु नवि देई बुल्ल ॥ २ ॥ निसि दीवी लहलहि जेम ऊगिउ तारायणु । पावलपारु न पामियए वेगि वहइ सुखासण | श्रागेवाणिहि संचरए संघपति साहुदेसलु | बुद्धिवंत बहुपुंनितु परिकमिहिं सुनिश्चलु ॥ ३ ॥ पाद्येवाणिहि सोमसीहु साहुसहजापूतो । सागणुसाहु लूणिगह पूतु सोमजिनिजुत्तो । जोड करी सवारमाहि आणि समरागरु | चडी होंड चहुगमे जोइ जो संघ असुहकरु ॥ ४ ॥ सेरीसे पूजियउ पासु कलिकालिहिं सकलो | सिरषेजि थाइउ धवलकए संघु आविउ सयलो । धंधूक अतिक्रमिउ ताम लोलियागह पहुतो । मिभुवणि उag करिउ पिपलालीय पत्तो ॥ ५ ॥ १६ ૨૫
SR No.023288
Book TitleSamar Sinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy