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________________ २३. समरसिंह सैद्धान्तिक श्रीविनयचन्द्रसूरि की मूर्ति पाटण में वासुपूज्य जिनालय में है । ( जिन वि० भाग २ रा लेख सं० ५२८) प्रमचन्द्रसरि बृहद्गच्छ के पद्मचन्द्रसूरिद्वारा वि. सं. १३५६ में प्रतिष्टित पार्श्वनाथ जिनबिंब खंभात में चोकसी की पोजमें चिंतामणि पार्श्व जिनालय में विद्यमान है । (बुद्धि० भाग २ लेख नं० ८०३) प्रबंधकारने देवरिगच्छ के पद्मचंद्रसूरि बताए हैं, वे कदाचित् यही प्राचार्य हो। सुमतिसूरि ___ संडेरगच्छ के सुमतिसूरिद्वारा वि. सं. १३५० में प्रतिष्टित कराई हुई श्रीअजितनाथ प्रभु की मूर्ति दिल्ली में लाला हजारीमलजी के घर देवालय में है । एवं वि. सं. १३७९ में प्रतिष्टित मूर्ति बनारस के रामघाट पर आए हुए “ कुशलाजी का बड़ा मन्दिर" के नाम से जो स्थान प्रसिद्ध है उसमें विद्यमान है। ( पूर्ण० नाहर ले० संख्या ५१९, ४१५) वीरसूरि भावडारगच्छ के वीरसूरिद्वारा वि. सं. १३६३ में प्रतिष्ठित पार्श्वनाथविंब बड़ौदे में दादा पार्श्वनाथजी के मन्दिर में है। ( बुद्धि० भाग २ रा ले० संख्या १३२) । सर्वदेवसरि थारापद्रगच्छ के शांतिपूरि के शिष्यरत्न इन सर्वदेवसूरिद्वारा
SR No.023288
Book TitleSamar Sinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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