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समरसिंह
हो चुके हैं उनमें भी उपकेशगच्छाचार्यों के प्रतिष्ठा करवाये हुए मन्दिर मूर्त्तियों के शिलालेख भी कम नहीं है पर हमारे चरित नायक, आचार्य सिद्धसूरि के परमोपासक, समरसिंह के समय के पूर्व के शिलालेख बहुत कम हैं और उन के पश्चात् के शिलालेख अधिक संख्या में हैं । यहाँ पर हम कतिपय शिलालेख समरसिंह के पूर्व समय के दे कर उपकेशगच्छा चाय के प्रतिष्टा का संक्षिप्त से परिचय करवा देना चाहते हैं ।
( १ )
सं० १-२५ वर्षे वैशाख शुदि १०.. साल्हण भा०......... . ल्ह.... निमित्तं उ० श्रीमुनिचंद्रसूरिभिः ।।
• श्रीमालि ०
........ पंचतीर्थी बिंबं प्र०
मातर - सुमति. जिना •
( २ )
सं० १९७२ फाल्गुन शुदि ७ सोमे श्री ऊकेशीयसावदेवपत्न्या आम्रदेव्याकारिता ककुदाचार्यः प्रतिष्ठिता ।
शकोपुर- माणेकचोक श्री पार्श्वनाथ जिनालय. ( ३ )
सं० १२०२ आषाढ़ सुदि ६ सोमे श्री प्राग्वटवंशे आसदेव देवकी सुताः महं० बहुदेव धनदेव सूमदेव जसवु रामणाख्या [ बन्ध ] वः महं धनदेव श्रेयोऽर्थ तत्सुत [ वाला ] धवलाभ्यां धर्मनाथ प्रतिमा कारिता श्री ककुदाचार्यैः प्रतिष्ठिताः । शत्रुंजय
१ उ० उपकेशगच्छाचार्थ का संक्षिप्तरूप है ।