________________
२६ : संस्कृत भाषा के आधुनिक जैन ग्रंथकार
५. श्री धनराजजी म.
भिक्षुशब्दानुशासनलघुवृत्तिः
६. श्री सोहनलालजी म.
- तुलसीप्रभाप्रक्रिया
(अर्वाचीन ग्रंथकारों ने प्राकृत संस्कृत भाषा के जो नए व्याकरण ग्रंथ लिखे हैं उनकी संख्या ३४ के आस-पास है। हिंदी - गुजराती - अंग्रेजी में लिखी गई मार्गदर्शिकाएँ भी विशाल संख्या में हैं जो प्राकृत- संस्कृत भाषा का अध्ययन करने में उपयोगी हैं।)