________________
संस्कृत भाषा के आधुनिक जैन ग्रंथकार : २१
स्थानकवासी परंपरा १.श्री घासीलालजी म. १. गणधरवादः
२. गृहिधर्मकल्पतरु ३. मोक्षपदप्रकरणम् ४. जैनागमतत्त्वदीपिका ५. सूक्तिसंग्रहः
६. तत्त्वप्रदीपः ७. कल्पसूत्रम्
८. तत्त्वार्थसूत्रम् २. श्री रत्नचन्द्रजी म. . कर्तव्यकौमुदी
- तेरापंथी परंपरा १. श्री तुलसीजी म.
१. जैनसिद्धांतदीपिका २. पंचसूत्रम् ३. शिक्षाषण्णवतिः . ४. कर्तव्यषट्त्रिंशिका ५. संघषट्त्रिंशिका (अर्वाचीन ग्रंथकारों ने कुल मिलाकर ११२ के आस-पास नूतन प्रकरण ग्रंथों की रचना की है। हिंदी-गुजराती-अंग्रेजी आदि भाषा में जैन तत्त्वज्ञान विषयक अनेक-अनेक पुस्तक लिखे गए हैं।)