SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३० जैन कथा कोष अगणित जीवों के प्राण जा रहे हैं। यह कार्य मेरे लिए कदापि उचित नहीं है—भर पाया ऐसे विवाह से । यों कहकर विवाह से विरक्त होकर अपना रथ पुनः द्वारिका की ओर लौटाने का सारथी को आदेश दे दिया। विवाह किये बिना यों मुड़ते देखकर श्रीकृष्ण, समुद्रविजय, उग्रसेन आदि सभी ने विवाह कर लेने का पुरजोर आग्रह किया। परन्तु प्रभु को तो विवाह करना ही कब था? वे तो यादवों में बढ़ी हुई विलासिता पर तीव्र प्रहार करने के लिए समुचित अवसर की तलाश में थे। जब सभी यादवों ने उन्हें घेर लिया, तब अपना स्पष्ट मन्तव्य बताकर द्वारिका लौट आये। वर्षी-दान देकर हजार राजाओं के साथ मुनिव्रत स्वीकार किया। ___तोरण पर पहुँचकर भी करुणा से प्रेरित होकर नौ भव से सम्बन्धित राजुल का परित्याग करके अनूठा आदर्श उपस्थित किया। राजुल को विरह से व्याकुल होना ही था। अन्त में राजुल ने भी वही कर दिखाया जो आर्य कन्याएं बहुधा किया करती हैं। प्रभु ने दीक्षा ली, उसी दिन उन्हें मनःपर्यवज्ञान तथा चौवन दिन बाद केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। प्रभु के धर्म परिवार में 'वरदत्त' आदि ग्यारह प्रमुख गणधर तथा १८ हजार साधु थे और यक्षा प्रमुख ४० हजार साध्वियाँ थीं। दश दशाह आदि प्रमुख श्रावक १,६६,००० तथा शिवादेवी आदि ३,३६,००० प्रमुख श्राविकाएँ थीं। अन्त में ७०० वर्ष तक केवलज्ञान की पर्याय का पालन कर ५२६ साधुओं के साथ गिरिनार पर्वत के ऊपर अनशनपूर्वक मोक्ष पधारे। तीन सौ वर्ष गृहस्थवास तथा सात सौ वर्ष साधु जीवन में बिताकर एक हजार वर्ष आयु पालन किया। जैन सूत्रों में श्रीकृष्ण और नेमिनाथ के अनेक प्रेरक और उद्बोधक जीवन-प्रसंग संकलित हैं। . धर्म-परिवार गणधर ११ बादलब्धिधारी केवली साधु १५०० वैकियलब्धिधारी १५०० केवली साध्वी ३००० श्रमण १८,००० मन:पर्यवज्ञानी १००० श्रमणी ४०,००० अवधिज्ञानी १५०० श्रावक १,६६,००० पूर्वधर ४०० श्राविका ३,३६,००० -उत्तराध्ययत २२ -त्रिषष्टि शलाकापुरुष चरित्र, पर्व ८ ८००
SR No.023270
Book TitleJain Katha Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChatramalla Muni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh prakashan
Publication Year2010
Total Pages414
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy