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२८ जैन कथा कोष
पिता
जन्म-तिथि
कुमार अवस्था
राज्यकाल
गणधर
केवली साधु केवली साध्वी
मनः पर्यवज्ञानी
अवधिज्ञानी
पूर्वधर
जन्म स्थान
माता
पिता
जन्म-तिथि
सुदर्शन
मगसिर सुदी १०
२१,००० वर्ष
४२,००० वर्ष
अरनाथ प्रभु की माता ने चौदह स्वप्नों के अतिरिक्त चक्र के आरे भी देखे थे। अतः अपने पुत्र का नाम रखा — अरनाथ । युवावस्था में अरनाथ ने अनेक राजकुमारियों के साथ विवाह किया। जब आयुधशाला में चक्र-रत्न पैदा हुआ, तब छः खण्डों के शास्ता बनकर चक्रवर्ती बने । इक्कीस हजार वर्ष तक चक्रवर्ती पद पर रहे। बाद में वर्षी दान देकर दीक्षा ग्रहण की और केवलज्ञान का उपार्जन करके तीर्थ की स्थापना की — तीर्थंकर बने । एक महीने के अनशन के पश्चात् एक हजार साधुओं के साथ सम्मेद शिखर पर मोक्ष पधारे। यों एक ही जन्म में कर्म - चक्रवर्ती (सातवें) और धर्म- चक्रवर्ती (अठारहवें ) के गौरवशाली पद का उपभोग किया ।
धर्म-परिवार
कुमार अवस्था दीक्षा तिथि
३३
२८००
५६००
२५५१
२६००
६१०
चारित्र पर्याय निर्वाण तिथि
सोरियपुर
शिलादेवी
कुल आयु चिन्ह
समुद्रविजय
श्रावण सुदी ५
३०० वर्ष
श्रावण सुदी ६
बादलब्धिधारी
वैक्रियब्धिधारी
१६००
७३००
५०,०००
६०,०००
१,८४,०००
३,७२,०००
— त्रिषष्टि शलाकापुरुष चरित्र
श्रमण
श्रमणी
२४. अरिष्टनेमि भगवान
सारिणी
श्रावक
श्राविका
२१,००० वर्ष मगसिर सुदी १०
८४,००० वर्ष नन्द्यावर्त्त
केवलज्ञान
निर्वाण तिथि
चारित्र पर्याय
कुल आयु
चिन्ह
असोज बदी १५
आषाढ़ सुदी
७०० वर्ष
१,००० वर्ष
शंख