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________________ जैन कथा कोष ३७५ कायोत्सर्ग में स्थित हो गये। 'हरिकेशी' मुनि की तपस्या और चारित्र की उत्कृष्टता से प्रभावित होकर वह यक्ष मुनि का भक्त बन गया और मुनि की सेवा में रहने लगा। . ___एकदा मुनि उपवन में ध्यानस्थ थे। उस समय राजपुत्री 'भद्रा' वहाँ आयी। मैले-कुचैले कपड़ों में मुनि को देखकर नाक-भौं सिकोड़कर निन्दा करने लगी। मुनि तो समता में लीन थे, लेकिन यक्ष मुनि की निन्दा न सह सका। उसने कुपित होकर कन्या को निन्दा का फल चखाने के लिए अचेत करके गिरा दिया। उसके मुंह से खून बहने लगा। सखियों से संवाद सुनकर राजा वहाँ आया और मुनि से क्षमायाचना की। राजकन्या के शरीर में प्रविष्ट होकर यक्ष ने कहा—'मैं इसे तभी छोड़ सकता हूँ, जब तुम इसका विवाह मेरे साथ करो।' मरता क्या न करता । राजा ने स्वीकार किया। पुरोहित को बुलाकर राजा ने कन्या मुनि को अर्पण कर दी। .. यक्ष 'तिन्दुक' वन में चला गया। कन्या मुनि के पास रह गई। मुनि ने कहा-'मैं तो ब्रह्मचारी हूँ। मेरे पत्नी का क्या काम?' राजा चक्कर में पड़ गया। अब क्या करे? चाण्डाल-पत्नी का राजा करे भी क्या? राज-पुरोहितों, पंडितों से पूछकर राजा इस निर्णय पर आया कि मुनि की परित्यक्ता पत्नी पुरोहितों को दी जा सकती है। राजा ने अपनी उस पुत्री का 'रुद्रदत्त' नाम के पुरोहित से विवाह कर दिया। राजकन्या को पाकर पुरोहित को तो प्रसन्न होना ही था। - 'रुद्रदत्त' पुरोहित ने उस कन्या को शुद्ध करने के लिए एक विशाल यज्ञ किया। मंडप में वेद-मन्त्रों का उच्चारण हो रहा था। चारों ओर भोजन सामग्री • मकर रही थी। इतने में 'हरिकेशी' मुनि वहाँ भिक्षार्थ आ गए। · भद्दी शक्ल वाले. मुनि को यज्ञ-मण्डप में आये देखकर ब्राह्मण लोग कुपित हो उठे। जल्दी से हल्दी मुनि को वहाँ से चले जाने के लिए कहा। शान्त भाव से मुनि ने कहा—'मैं भिक्षा लेने आया हूँ।' ब्राह्मण तुम्हें यहाँ भिक्षा नहीं मिलेगी। भोजन अधिक होगा तो करडी पर फेंक देंगे, पर तुझे नहीं देंगे। चल हट यहाँ से, अन्यथा मार-पीटकर भगाना ‘पड़ेगा।' कुपित होकर ब्राह्मण लोग मुनि को मारने लगे। तब वह यक्ष आया। उसने मुनि के शरीर में प्रविष्ट होकर ब्राह्मणों को बेहोश करके जमीन पर पटक दिया। उन ब्राह्मणों के मुंह से खून बहने लगा। जब पता लगा तब 'रुद्रदत्त'
SR No.023270
Book TitleJain Katha Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChatramalla Muni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh prakashan
Publication Year2010
Total Pages414
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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