SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 275
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २५८ जैन कथा कोष मुँह में गिरी । वह छत्ते की ओर लालसा भरी दृष्टि से देखने लगा । तभी आकाश-मार्ग से एक विद्याधर और विद्याधरी विमान में बैठे निकले। विद्याधरी को उस पर दया आ गई। उसने अपने पति से उसे बचाने का आग्रह किया । विद्याधर ने विद्याधरी से कहा - 'प्रिये ! वह हमारी बात नहीं मानेगा, क्योंकि वह मधुबिन्दु का लोभी बना हुआ है।' लेकिन विद्याधरी ने फिर भी आग्रह किया। उसके आग्रह को मानकर विद्याधर अपना विमान जयचन्द के पास लाया और बोला—' भाई ! तुम विमान में बैठ जाओ। इन सब संकटों से मुक्त हो जाओगे। तुम्हें निरापद स्थान पर पहुँचा दूंगा । ' जयचन्द बोला—आपका कहना ठीक है, लेकिन एक बूंद शहद चाट लूं, तब चलूंगा । एक बूंद शहद गिरा । जयचन्द ने वह चाट लिया । विद्याधर ने चलने को कहा तो दूसरी बूंद चाटने की इच्छा प्रकट की । इसी तरह विद्याधर चलने का आग्रह करता रहा और जयचन्द मधुबिन्दु चाटने की इच्छा प्रकट करता रहा । आखिर निराश होकर विद्याधर चला गया । यही दशा सभी संसारी जीवों की है। गजराज महाकाल का रूप जो समस्त संसार को क्षुभित किए हुए है। सफेद और काले रंग के दो चूहे दिन और रात के रूप हैं, जो प्रति क्षण मनुष्य की आयुरूपी डोर को काट रहे हैं । अंधकूप नरक-निगोद के समान है, जिसमें गिरकर मनुष्य अनन्तकाल के लिए पतित हो जाता है और मधुमक्खियाँ परिवारीजनों के समान हैं, जो मनुष्य को डंक मार-मारकर दुखित करते रहते हैं। इतने संकटों के होने पर भी मनुष्य काम-भोगरूपी मधुबिन्दु के क्षणिक रसास्वादन में लुब्ध बना रहता है। वह सद्गुरुदेवरूपी विद्याधर की बात मानकर संकट-मुक्ति का उपाय नहीं करता और इसी दशा में भव-भ्रमण करता रहता है। — धर्मोपदेशमाला - जम्बूकुमारचरियं १५०. मरीचिकुमार 'मरीचि' कुमार भगवान् 'ऋषभदेव' के ज्येष्ठ पुत्र भरत का पुत्र था । 'मरीचि ' कुमार ने भी 'आदिनाथ' के साथ ही संयम स्वीकार किया था। पर गर्मी में तृषा का परीषह नहीं सह सकने के कारण जैन मुनि के वेश का त्याग कर
SR No.023270
Book TitleJain Katha Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChatramalla Muni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh prakashan
Publication Year2010
Total Pages414
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy