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________________ २४६ जैन कथा कोष रहती । सन्तान के लिए वह प्रतिक्षण आर्तध्यान करती रहती । सन्तान-प्राप्ति की दिल में तीव्र अभिलाषा थी। पर हो क्या? सारे प्रयत्न बेकार रहे। एक दिन 'सुव्रता' नाम की साध्वी उसके यहाँ भिक्षा लेने के लिए आयी। 'सुभद्रा' ने भक्तिभाव से निर्दोष आहार-पानी साध्वीश्री को दिया । आहार देकर सविनय बद्धांजलि साध्वीजी से 'सुभद्रा' ने कहा-सतिश्री ! पता नहीं कौनसे पाप का उदय है, जिससे एक भी सन्तान मेरे नहीं हुई। आपके पास कोई मन्त्र-तन्त्र-विद्या हो तो मुझे बताने की कृपा करें, जिससे एक पुत्र या पुत्री हो जाए। मैं आपका उपकार मानूंगी। साध्वी ने प्रशान्त भाव से कहा—भद्रे ! हम साध्वियाँ हैं। संसार से विमुख हैं। ऐसी बात सुनना भी हमारी विधि से बाहर है। तब विद्या या मंत्र देने की बात तो दूर रही। हाँ, तुम चाहो तो तुम्हें वीतराग प्रभु का दिया हुआ धर्मोपदेश हम तुम्हें सुना सकती हैं। समय देखकर साध्वीजी ने धर्मोपदेश दिया। 'सुभद्रा' ने श्रावक के बारह व्रत स्वीकार किये। ___ 'सुभ्रदा' श्रावकधर्म का पालन लम्बे समय तक करती रही। फिर भी कोई संतान नहीं हुई। वह साध्वी बनने के लिए तैयार हो गई। पति ने पहले तो इसे साध्वी बनने की आज्ञा नहीं दी, लेकिन उसका अधिक आग्रह देखकर आज्ञा दे दी। वह 'सुव्रता' साध्वी के पास साध्वी बन गई। संयम का निर्वाह करती, फिर भी बालक-बालिकाओं पर उसका अनुराग विशेष रहता। नगर में जहाँ भी बालकों को देखती, वहाँ उन्हें खिलाने लग जाती। वन्दनार्थ आने वाले बालकों को देखकर भी उसका स्नेह उमड़ पड़ता। किसी बालक के पैर रंग देती, किसी बालक के होंठ रंग देती, किसी बालक को अपनी गोद में लेकर खिलाने लग जाती। ___ जब 'सुव्रता' गुरुणी को इन सब बातों का पता लगा तो उसे ऐसा करने के लिए टोका तथा प्रायश्चित करने के लिए कहा। परन्तु वह कब मानने वाली थी ! फलतः स्वच्छन्द होकर अलग एकाकी स्थान में रहने लगी। यों अनेक वर्ष तक संयम का पालन किया। पन्द्रह दिन का अनशन करके प्रथम स्वर्ग में 'बहुपुत्री' नाम के विमान में 'बहुपुत्री' देवी के नाम से उत्पन्न हुई। बहुपुत्री देवी प्रथम स्वर्ग से निकलकर जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में एक ब्राह्मण के घर में पैदा होगी। वहाँ उसका 'सोमा' नाम दिया जाएगा। 'सोमा'
SR No.023270
Book TitleJain Katha Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChatramalla Muni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh prakashan
Publication Year2010
Total Pages414
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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