SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 260
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन कथा कोष २४३ गिरा। अपने साथियों को भी वैरागी बना लिया। सभी जम्बूस्वामी के साथ संयमी बन गये। साधुत्व स्वीकार कर 'प्रभव' स्वामी दुष्कर तप:साधना में जुटे । अनेक शास्त्रों में पारंगत बने । चतुर्दशपर्वधारी बने । जम्बूस्वामी के निर्वाण के बाद उनके पट्ट पर 'प्रभव' स्वामी आसीन हुए। अपनी एक सौ पाँच वर्ष की सर्वायु को भोगकर भगवान् महावीर के ७५ वर्ष बाद स्वर्गवासी हुए। इनका स्वर्गारोहण समय वि. सं. ३६५ से पूर्व का माना जाता है। - कल्पसूत्र सुबोधिका १३८. प्रभावती 'प्रभावती' वैशाली के महाराज 'चेटक' की पुत्री थी। वैसे 'चेटक' की सात पुत्रियाँ थीं और सातों ही महासती थीं। 'प्रभावती' का विवाह 'सिंधुसौवीर' के महाराज 'उदायन' के साथ हुआ। अभीचिकुमार इसी महासती 'प्रभावती' का पुत्र था। भगवान् महावीर के उपदेश से प्रतियुद्ध होकर जब 'प्रभावती' साध्वी बनने को तैयार हुई, तब 'उदायन' ने कहा-'मैं साध्वी बनने की आज्ञा इस शर्त पर दे सकता हूँ, कि साध्वी बनकर मरणोपरान्त देवी बनो, तब मुझे आकर प्रतिबोध दो।' सती ने राजा की बात स्वीकार कर ली। राजा ने यों वचनबद्ध करके आज्ञा दे दी। सती ने प्रभु के पास दीक्षा ली। 'प्रभावती' सती-शिरोमणि 'चन्दनवाला' के नेतृत्व में अपनी आत्मसाधना में लीन रहने लगी। अन्त में अनशनपूर्वक समाधिमरण प्राप्त करके स्वर्ग में गई। स्वर्ग में जाकर वचनबद्धता के कारण महाराज 'उदायन' को सत्यधर्म का मर्म समझाकर भगवान् का भक्त बनाया। 'उदायन' शासक था, फिर भी उसका जीवन-व्यवहार धार्मिकता से कितना ओत-प्रोत था, यह उस समय सबके सामने आया। जब बन्दी बने चण्डप्रद्योत को सच्ची क्षमायाचना करने के लिए मुक्त कर दिया। माना 'चण्डप्रद्योत' दोषी था; क्योंकि उसने महाराज 'उदायन' की दासी 'स्वर्णगुल्लिका' का अपहरण किया था। उसे लाने के लिए 'उदायन' भीषण गर्मी में विशाल सेना लेकर समरांगण में गया। एक बार बीच में ऐसा प्रसंग भी आया कि जल के अभाव १. कई कहते हैं ये प्रभव स्वामी अन्य थे।
SR No.023270
Book TitleJain Katha Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChatramalla Muni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh prakashan
Publication Year2010
Total Pages414
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy