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________________ जैन कथा कोष १८७ सका। वह शत्रुता की गाँठ बँधी-की- बँधी रही । अन्त में 'विन्ध्यशक्ति' से बदला लेने का निदान करके दसवें स्वर्ग में गया। वह 'विन्ध्यशक्ति' का जीव भी मुनिव्रत धारण करके तप के प्रभाव से मर कर देव हुआ। वहाँ से 'विजयपुर' के महाराज 'श्रीधर' की रानी ' श्रीमती' के यहाँ जन्म लिया । उसका नाम 'तारक' रखा गया । वह प्रतिवासुदेव बना । अपने प्रतिबोध की भावना से यहाँ द्विपृष्ठ कुमार ने प्रतिवासुदेव तारक से युद्ध करके उसे मार गिराया । स्वयं वासुदेव बना । वासुदेव बना 'द्विपृष्ठ' चाटुकारों (चमचों) के चंगुल में फँसकर उद्धत बन गया । कठोर नियन्त्रण, निर्दयता और नृशंसता के आचरण से उसने नरक गति का बन्ध कर लिया और अपनी चौहत्तर लाख वर्ष का आयु पूर्ण करके नरक गया । वासुदेव का यों अवसान देखकर 'बलभद्र' विजय शोकाकुल हो उठा । कुछ काल तक शोक - विह्वल रहा। अन्त में आचार्य 'विजयसिंह' के पास संयम लेकर केवलज्ञान प्राप्त करके मुक्त बना । - त्रिषष्टि शलाकापुरुष चरित्र, ४/२ १०६. द्विमुख (प्रत्येकबुद्ध) पांचाल देश के 'कंपिलपुर' नगर का स्वामी था 'जय'। उसकी महारानी का नाम था 'गुणमाला'। दोनों की ही जैनधर्म में अगाध श्रद्धा थी । एक दिन महाराज 'जय' राजसभा में सिंहासन पर विराजमान थे। इतने में बहुत दूर से . फिरता हुआ एक चारण राजसभा में आया और महाराज की स्तुति की । महाराज ने उसे सम्मान देते हुए कहा - ' बारहठजी ! आप अनेक देशों में घूमे हैं, अनेकानेक दिव्य वस्तुएं स्थान-स्थान पर देखी हैं। मेरी राजसभा में किसी बात की कमी हो तो वह मुझे बताओ। केवल स्तुति मुझे पसन्द नहीं है । ' बारहठजी ने सारी राजसभा को बहुत पैनी दृष्टि से देखकर कहा - ' राजन ! आपकी यह राजसभा सभी तरह से सुन्दर है, फिर भी एक चित्रशाला की कमी खटक रही है। वह यदि आप यहाँ बनवा दें तो राजसभा की शोभा निखर सकती है।' राजा ने चित्रशाला बनवाने के लिए अनेक कारीगरों का बुलवाया। उन लोगों ने कार्य प्रारम्भ किया। नींव खोदने लगे तो जमीन में से रत्नों का एक भव्यतम मुकुट निकला । कारीगरों ने महाराज को सूचित किया। महाराज ने उसे अपने मस्तक पर लगाकर ज्योंही अपना मुख दर्पण में देखा तो उस मुकुट के योग से
SR No.023270
Book TitleJain Katha Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChatramalla Muni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh prakashan
Publication Year2010
Total Pages414
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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