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________________ विषयवस्तु क्या है। सुधी पाठक उत्तरपुराण का अध्ययन अवश्य करें। उत्तरपुराण में निम्नलिखित तीर्थंकर, नारायण, प्रतिनारायण और बलभद्र आदि का वर्णन किया गया है। यथा-- तीर्थंकर : अजितनाथ, सम्भवनाथ, अभिनन्दननाथ, सुमतिनाथ, पद्मप्रभ, सुपार्श्वनाथ, चन्द्रप्रभ, पुष्पदन्त, शीतलनाथ, श्रेयांसनाथ, वासुपूज्य, विमलनाथ, अनन्तनाथ, धर्मनाथ, शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ, अरनाथ, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रतनाथ, नमिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर। बलभद्र : विजय, अचल,धर्म, सुप्रभ, अपराजित, नन्दिषेण, नन्दिमित्र, राम, पद्म। नारायण : त्रिपृष्ठ, स्वयंभू, पुरुषोत्तम, पुण्डरीक, दत्त, लक्ष्मण। प्रतिनारायण : अश्वग्रीव, तारक, मधु, मधुसूदन, अनन्तवीर्य, निशुम्भ, बलीन्द्र, रावण, जरासन्ध। गणधर : संजयन्त, मेरू, मन्दर। चक्रवर्ती : सगर, मधवा, सनत्कुमार, शांतिनाथ, कुन्थुनाथ, अरनाथ, सुभौम, पद्म, हरिषेण, जयसेन, ब्रह्मदत्त। इस प्रकार पूरा का पूरा उत्तरपुराण महापुरुषों के चरित्र-चित्रण से भरा हुआ है। ऐसा कोई अन्य पुराण देखने को नहीं मिलता, जिसमें एक साथ इतने तीर्थंकर, बलभद्र, नारायण, प्रतिनारायण, गणधर और चक्रवर्ती का वर्णन एक साथ किया हो। वास्तव में यह पुराण बहुत महान, महत्त्वपूर्ण, श्रेष्ठ और परजीवी ग्रन्थों का आधार है। महापुराण में समस्त 63 शलाका पुरुषों के चरित्र का वर्णन है; इसलिए इसे पुराणों का मुकुटमणि कहा जाता है। वास्तव में इतने अधिक (20,000) श्लोक प्रमाण लिखना और महापुरुषों का चरित्र-चित्रण सरल भाषा में करना आचार्यों द्वारा हमें अनमोल भेंट प्रदान की गयी है। अत: सुधी पाठकों से मेरा निवेदन है कि इस ग्रन्थराज महापुराण का अध्ययन अवश्य करें। चरित्र-चित्रण के साथ ही इस ग्रन्थ में सबसे अन्तिम अध्याय में बहुत महत्त्वपूर्ण विषय का वर्णन किया है। सर्वप्रथम अन्तिम केवली जम्बू स्वामी का वर्णन, उसके बाद उत्सर्पिणी (सुषमा-दुखमा आदि छह काल) और अवसर्पिणी काल का विशिष्ट वर्णन करते हुए कल्कियों का वर्णन किया है, जो बहुत महत्त्वपूर्ण और पढ़ने योग्य है। प्रलय काल का भी वर्णन किया है। जिन श्रावकों 30 :: प्रमुख जैन ग्रन्थों का परिचय
SR No.023269
Book TitlePramukh Jain Grantho Ka Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeersagar Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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