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________________ 'यह भगवान का शरीर पवित्र, उत्कृष्ट, मोक्ष का साधन, स्वच्छ तथा निर्मल है ' ऐसा विचार कर उसे बहुमूल्य पालकी में विराजमान किया और अग्निकुमार देवों द्वारा उत्पन्न अग्नि से जगत की अभूतपूर्व सुगन्धि प्रकट कर वर्तमान आकार नष्ट कर दिया । इन्द्रो ने वृषभदेव के शरीर की भस्म उठाकर मस्तक पर लगाई और आनन्द नाम का नाटक किया । इन्द्र ने इष्ट के वियोग से दुःखी भरत एवं इष्टजनों को धर्मोपदेश दिया । भरत का वैराग्य महाराज भरत को किसी समय उज्ज्वल दर्पण में अपने मुखकमल में सफेद बाल देखकर वैराग्य उत्पन्न हो गया, उन्होंने राज्य को जीर्णतृण के समान मानकर अपने पुत्र अर्ककीर्ति को अपनी सम्पत्ति देकर दीक्षा ग्रहण की। उसी समय उन्हें मन:पर्ययज्ञान उत्पन्न हो गया और उसके बाद शीघ्र ही भरत को केवलज्ञान प्रकट हो गया । इस प्रकार इक्ष्वाकुवंश के प्रमुख श्री वृषभनाथ भगवान मोक्षरूपी आत्मा की उत्कृष्ट सिद्धि को प्राप्त हुए । भरत, बाहुबली भी निर्वाण को प्राप्त हुए । भगवान आदिनाथ, भरत, बाहुबली का चरित्र सुधी श्रावकों को परमसुख और पूर्ण ज्ञान देनेवाला है, अतः ग्रन्थ का अध्ययन पूर्ण एकाग्रता के साथ करें। उत्तरपुराण महापुराण का दूसरा भाग है, उत्तरपुराण । महापुराण में लगभग 20 हजार श्लोक हैं, जिनमें से आचार्य गुणभद्र ने लगभग 7780 श्लोकों द्वारा उत्तरपुराण की रचना की है। 28वें पर्व से लेकर 76वें पर्वों (अध्यायों) में दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ से लेकर चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के चरित का वर्णन किया गया है। ग्रन्थ के प्रारम्भ में भगवान आदिनाथ के गर्भ से लेकर मोक्ष कल्याणक तक तथा सोलह स्वप्न, सुमेरू पर्वत, देवों द्वारा वन्दना और पूर्व दश भव आदि-आदि विषयों का विस्तार से वर्णन किया गया है। अतः उत्तरपुराण में इन विषयों की विस्तृत चर्चा नहीं की है। इसलिए हमने भी महापुराण के प्रथम भाग आदिपुराण का विस्तृत सारांश इस पुस्तक में लिखा है । पाँचों कल्याणकों की प्रक्रिया, समय और स्थान आदि समान हैं, अतः हम 23 तीर्थंकरों के चरित का विस्तृत वर्णन नहीं कर रहे हैं। पाठक के लिए संक्षेप में इतना ही बता रहे हैं कि उत्तरपुराण की I महापुराण (आदिपुराण और उत्तरपुराण) :: 29
SR No.023269
Book TitlePramukh Jain Grantho Ka Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeersagar Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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