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अतिशय क्षेत्र मदनपुर
टीकमगढ़-ललितपुर मार्ग पर स्थित महरौनी तहसील मुख्यालय स्थित हैं । यहां से मड़ावरा मदनपुर को पक्का डामरयुक्त सड़क मार्ग जाता है । महरौनी से मदनपुर की दूरी 45 किमी. है। यह अतिशय क्षेत्र अत्यन्त प्राचीन है एवं भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है; किन्तु पुरातत्व विभाग ने इस क्षेत्र के विकास के लिए कुछ नहीं किया है । मेरी दृष्टि में यह बुंदेलखंड क्षेत्र का अतिप्राचीन व महत्वपूर्ण क्षेत्र बुंदेलखंड स्थित सभी तीर्थ क्षेत्रों में सर्वाधिक असुरक्षित व जैन समाज द्वारा पूर्ण रूपेण उपेक्षित है; इसीलिये यह क्षेत्र आज भी विकास की राह का इन्तजार कर रहा है। यहां जैनियों के मात्र दो घर हैं; जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है; किन्तु रास्ते में पड़ने वाला मड़ावरा कस्बा, जिसमें एक दर्जन से अधिक जिनालय हैं; व समाज भी काफी है; का इस क्षेत्र के विकास की ओर कोई ध्यान नहीं है । यह अतिशय क्षेत्र मदनपुर ग्राम से लगभग दक्षिण दिशा में मुख्य सड़क से 500 मीटर की दूरी पर सुरम्य पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है । क्षेत्र के पास में पत्थर की खदानें हैं; जिसमें होते रहते विस्फोटों से इस क्षेत्र स्थित मंदिरों की दीवारें कमजोर पड़ गयी हैं व मूर्तियों पर भी उनका प्रभाव देखने को मिलता है; इसके बावजूद भी पुरातत्व विभाग ने क्षेत्र के संरक्षण हेतु कोई उपाय नहीं किया; यह अत्यन्त खेद की बात है। फिलहाल कुछ दिनों से पत्थर की खदानें बंद हैं।
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मड़ावरा से मदनपुर पहुँचने के 3-4 किमी. पहले से ही विशाल विन्ध्य पर्वत श्रृंखलायें दिखाई देने लगती हैं। मानों वे यात्रियों का स्वागत करने को आतुर हों । क्षेत्र पर व्यवस्थायें चरमराई हुई हैं । क्षेत्र की परिचय पुस्तिका भी उपलब्ध नहीं है। एक ही पुजारी के अधीन नीचे लिखे सभी जिनालयों की व्यवस्था की जिम्मेदारी है। यात्रियों के ठहरने के लिए भी क्षेत्र पर कोई व्यवस्था नहीं है । मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे ही है । पुरातत्व विभाग का कोई भी कर्मचारी यहां नहीं रहता है । क्षेत्र के संरक्षण की तुरन्त आवश्यकता है । अतिशय :
1. यह अतिशय क्षेत्र प्राचीन है । यहां आने वाले यात्रियों की मनोकमनायें दर्शन मात्र से पूर्ण होती हैं ।
2. यह भी एक बहुत बड़ा अतिशय है कि इतना लम्बा काल बीत जाने पर भी सभी मूर्तियां सुरक्षित हैं। जबकि यहां सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है ।
3. मंदिर का पुजारी क्षेत्रान्तर्गत 2-3 कमरों में जिनके आगे बरामदा भी बना है; भगवान के भरोसे जंगल में; जहां चारों ओर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा बना रहता है; ईश्वरी चमत्कार के कारण ही बना रहता है ।
88■ मध्य-भारत के जैन तीर्थ