SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 73. श्री ऋषभनाथ जिनालय वि. सं. 1893 । 74. श्री ऋषभनाथ जिनालय वि. सं. 1892 - लगभग 5 फीट ऊँची देशी पाषाण निर्मित खड़गासन प्रतिमा स्थित है। यह प्रतिमा बादामी वर्ण की है। ये दायीं तरफ के जिनालयों में अंतिम जिनालय है। ___75. इसके बाद हम मुख्य प्रवेश द्वार के ऊपर निर्मित रथाकार जिनालय में 20-25 सीढ़ियां चढ़कर प्रवेश करते हैं। जहां सं. 1916 में स्थापित 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ की भव्य प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा कृष्णवर्ण की है व लगभग 4 फीट ऊँची है। 76. चन्द्रप्रभु चैत्यालय सं. 1995। 77. से 80. चार मानस्तंभ जो मुख्य प्रवेशद्वार के अंदर दायीं व बायीं ओर दो-दो स्थित हैं। इनमें चारों ओर 16 जिन-प्रतिमायें विराजमान हैं। 81. से 105. तक नवीन बाहुबली जिनालय व चौबीसी प्रवेश द्वार के अंदर दायीं ओर बगीचे के पीछे एक नवीन भव्य जिनालय का निर्माण 24 खंभों के ऊपर किया गया है। कुछ सीढ़ियां चढ़ने के पश्चात हम अपने सामने इस अवसर्पिणी काल के प्रथम मोक्षगामी व प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ जी के सुपुत्र भगवान बाहुबली की विशाल प्रतिमा के दर्शन करते हैं। यहां आकर दर्शकों को असीम शान्ति का अनुभव होता है व दर्शनार्थी के अन्तःचक्षु भी खुल जाते हैं। श्वेत संगमरमर निर्मित लगभग 18 फीट ऊँची भगवान बाहुबली की यह प्रतिमा हमें गोमटेश्वर का स्मरण कराती है। इस प्रतिमा के चारों ओर चौबीसी स्थित है, जहां चौबीसों तीर्थंकर की प्रतिमायें क्रम से विराजमान हैं। 106. दर्शनों के अन्त में हम मुख्य प्रवेश द्वार के अंदर बायीं ओर एक विशाल प्रवचन हॉल में प्रवेश करते हैं। यहां नवनिर्मित काले संगमरमर की भव्य व मनोहारी भगवान पार्श्वनाथ की लगभग 7 फीट ऊँची पदमासन प्रतिमा विराजमान है। जिसके दर्शन कर दर्शनार्थियों की सारी थकान छूमन्तर हो जाती है। 108 जिनालयों के दर्शन कर इस प्रकार हम संपूर्ण पपौरा जी क्षेत्र की वंदना करते हैं। दूरियां : पपौरा जी अतिशय क्षेत्र टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से 5 किमी., द्रोणगिरी से 58 किमी., सागर से 100 किमी., ललितपुर रेलवे स्टेशन से 58 किमी. दूरी पर स्थित है। मध्य-भारत के जैन तीर्थ - 23
SR No.023262
Book TitleMadhya Bharat Ke Jain Tirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrakashchandra Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year2012
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy