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प्रत्येक लगभग 6 फीट ऊँची हैं । इन पर लिखे लेखों को पढ़ा नहीं जा सका । किन्तु निर्मित कला को देखकर ऐसा अनुमान है कि ये जिन - प्रतिमायें दूसरी से चौथी शताब्दी के बीच की होंगी। पपौरा तीर्थ क्षेत्र स्थित ये प्रतिमाएं प्राचीनतम प्रतीत होती हैं
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27. भोंयरा नं. 2 : इसमें प्राचीन मूर्तियां विराजमान हैं। कुछ खड़गासन व कुछ पदमासन मुद्रा में आसीन हैं। भगवान नेमिनाथ की कृष्ण वर्ण की 2 फीट 2 इंच अवगाहना की पदमासन प्रतिमा यहां विराजमान है ।
28. भगवान चन्द्रप्रभु जिनालय, जिनके पादमूल में स्थित प्रशस्ति अस्पष्ट हैं ।
28 (अ). यह जिनालय दूसरी मंजिल पर स्थित है ।
लघु परिसर से बाहर निकलने पर हम जिनालय क्रमांक 29 में पहुँचते हैं, जिसमें पर्श्वनाथ भगवान की वि. सं. 1868 की जिन - प्रतिमा विराजमान है ।
30. वि.सं. 1869 में स्थापित जैनधर्म के 9वें तीर्थंकर भगवान पुष्पदन्त की अत्यन्त शोभायमान लगभग 8 फीट अवगाहना की खड़गासन प्रतिमा विराजमान है । चरणों के दोनों ओर अजित यक्ष व महाकाली यक्षिणी निर्मित हैं ।
31. पार्श्वनाथ जिनालय संवत् 1894 ।
32. यह जिनालय दायीं ओर स्थित जिनालयों में सबसे दायीं ओर स्थित है। यहां से हमें फिर वापिस होना पड़ता है । इस जिनालय में 8वें तीर्थंकर भगवान चन्द्रप्रभु की पाषाण निर्मित अत्यन्त सुंदर मनमोहिनी प्रतिमा खड़गासन मुद्रा में विराजमान हैं । यह प्रतिमा लगभग 7 फीट अवगाहना वाली है। प्रतिमा के अधोभाग में दोनों ओर भक्त युगल खड़े हैं व ऊपर दोनों ओर पुष्पों की माला लिये विद्याधर देव स्थित हैं ।
33. पार्श्वनाथ जिनालय 1893 |
34. पार्श्वनाथ जिनालय 1545 ।
35. चन्द्रप्रभु जिनालय : यह एक पृथक परकोटे में स्थित है। यह नक्कासीदार जिनालय वि.सं.- 1524 के आसपास का है। इस मंदिर परिसर में स्थित दालान व अंदर की नक्कासी काफी सुंदर है। इसी जिनालय में गर्भणी शेरनी ने कुछ माह निवास किया था । इस जिनालय में लगभग 9 फीट ऊँची भगवान चन्द्रप्रभु की खड़गासन प्रतिमा विराजमान है, जो देशी पाषाण से निर्मित है। मूर्ति के दायें-बायें 5-5 पदमासन व दो-दो खड़गासन मुद्रा में अन्य जिन - प्रतिमायें भी स्थित हैं । मूल प्रतिमा के ऊपर तीन छत्र सुशोभित हैं व दोनों ओर गजलक्ष्मी व पुष्पहार लिये गंधर्व भी बने हैं, इस जिनालय के प्रवेश द्वार, तोरण और आधार स्तंभों में नृत्यमुद्रा में मिथुन व मनमोहक भाव-भंगिमाओं के साथ देवांगनाओं का भव्य अंकन किया गया है, जो खजुराहो के मंदिरों की कला के सदृश्य है 1
36. पदमावती पार्श्वनाथ जिनालय जो श्वेत संगमरमर निर्मित हैं ।
मध्य-भारत के जैन तीर्थ ■ 21