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________________ तीर्थ-क्षेत्र जम्बूस्वामी (मथुरा) अंतिम केवली भगवान श्री जम्बूस्वामी ने इसी धरा से निर्वाण प्राप्त किया था। यह तीर्थ-क्षेत्र अतिप्राचीन है। यहीं कंकाली टीले से प्राचीनतम जैन प्रतिमायें व स्तूप उत्खन्न से प्राप्त हुये थे। वर्तमान में प्राचीन जिनालय को नवीन स्वरूप प्रदान किया गया है। पहले यह तीर्थ-क्षेत्र जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था। .. यह तीर्थ-क्षेत्र देहली-भोपाल रेल व सड़क मार्ग पर स्थित हैं। यहाँ स्थित विशाल जिनालय व उनमें प्रतिष्ठापित जिन-प्रतिमायें काफी प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व की है। यहाँ का प्रमुख जिनालय भगवान श्री जंबूस्वामी के तपस्थल पर स्थित है व प्रथम तल पर स्थित है। इस जिनालय में 9 वेदिकायें स्थित हैं। जिनका विवरण इस प्रकार है 1. मुख्य प्रवेशद्वार के ठीक सामने एक विशाल वेदिका स्थित है। इस वेदिका पर अत्यन्त आकर्षक व मनोज्ञ भगवान श्री अजितनाथ की विशाल पद्मासन मुद्रा में आसीन प्रतिमा विराजमान हैं। इस प्रतिमा के प्रति सहज ही श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षिक होकर केन्द्रित हो जाता है। श्रद्धालुओं को यहाँ से हटने का मन नहीं करता। यह जिन-प्रतिमा श्वेत संगमरमर से निर्मित है व लगभग 5 फीट ऊँची है। प्रतिमा के पीछे अभिषेक का दृश्य अति मनोहारी हैं। इन्द्र देवता अपने विमानों से पुष्प वर्षा करते भी यहाँ दृष्टिगोचर होते हैं। प्रतिमा के ठीक सामने जंबू स्वामी के चरण-चिह्न स्थापित हैं; जो प्राचीन हैं व बालू प्रस्तर शिलाखंड पर उत्कीर्ण हैं। इनके दर्शन मात्र से पापों का क्षय होता है। 2. इस प्रमुख वेदिका के परिक्रमा-पथ में दीवालों के सहारे शेष अन्य वेदिकायें स्थित हैं। बायीं ओर से परिक्रमा करने पर हम सर्वप्रथम भगवान बाहुबली की वेदी के सामने पहुंचते हैं। इस वेदिका पर संगमरमर निर्मित भगवान बाहुबली की प्रतिमा कायोत्सर्ग मुद्रा में प्रतिष्ठापित है। भगवान बाहुबली की प्रतिमायें सभी जगह इसी मुद्रा में स्थित हैं। यह प्रतिमा कलात्मक व लगभग 2.5 फीट ऊँची हैं। श्रद्धालु इस वेदिका पर अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुये आगे बढ़ता है। 3. तीसरी वेदिका एक बड़े आकार के आले के रूप में है; जिसमें बालुका प्रस्तर पर नंदीश्वर द्वीप की रचना उकेरी गई है। यह रचना भी लगभग 2.5 फीट ऊँची है। जिसके चारों ओर तेरह-तेरह जिन-प्रतिमायें बनी हुई हैं। इस वेदिका के सामने एक टेबिल पर पद्मासन मुद्रा में अतिमनोज्ञ प्रतिमा विराजमान हैं; जो भगवान मुनिसुव्रतनाथ की है। यह नयनाभिरामी प्रतिमा श्यामवर्ण की है व लगभग 2 फीट ऊँची है। 194 - मध्य-भारत के जैन तीर्थ
SR No.023262
Book TitleMadhya Bharat Ke Jain Tirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrakashchandra Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year2012
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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