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दान भी देना चाहिये। फैजाबाद से सोहावल ग्राम व रनाई थाना कोतवाली तक के लये हमेशा टैक्सियां उपलब्ध रहती है। रनाई थाना के बगल से जिसके किनारे एक शासकीय विद्यालय भी है; रत्नपुरी को एक सड़क जाती है। यहाँ से रत्नपुरी मात्र 1.5 किलोमीटर दूर है। यात्रियों को सोहावल ग्राम या रनाई थाने से रत्नपुरी पहुँचने के लिये रिक्शे मिलते हैं। मुख्य सडक से यहाँ तक पैदल भी जाया जा सकता है। यात्रियों को यहाँ रुकने के लिये धर्मशाला की सुविधा भी उपलब्ध है।
हस्तिनापुर यह तीर्थ-क्षेत्र उ.प्र. के मेरठ शहर से 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। दिल्ली से हस्तिनापुर की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। दिल्ली व मेरठ से यहाँ के लिये सीधी बसें मिलती हैं। यहाँ यात्रियों को ठहरने के लिये सर्वसुविधा-युक्त धर्मशालायें विद्यमान हैं। यात्रियों के भोजन की यहाँ समुचित व्यवस्था है। इस धरा पर 16वें तीर्थंकर भगवान श्री शांतिनाथ, 17वें तीर्थंकर भगवान श्री कुंथुनाथ एवं 18वें तीर्थंकर श्री अरहनाथ जी ने जन्म लिया था।
यह वह पवित्र स्थान है। जहाँ कामदेव व चक्रवर्ती रहे भगवान श्री शान्तिनाथ, कुंथुनाथ व अरहनाथ के पहले तीन कल्याणक संपन्न हुये थे। यहाँ अनेक विशाल जिनालय हैं। बस स्टेण्ड के पास प्राचीन जिनालय स्थित हैं।
इस स्थान से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर जंगलों से घिरे प्राकृतिक वातावरण में नसिया जी हैं। सड़क किनारे स्थित नसिया में भगवान श्री कुंथुनाथ व अरहनाथ जी के चरण-चिह्न विराजमान है। जबकि यहाँ से और 500 गज की दूरी पर एक अन्य नसिया जी में भगवान श्री शांतिनाथ के चरण-चिह्न स्थित हैं। यहां एक भव्य जिनालय का निर्माण लगभग पूर्णता की ओर है।
बस स्टेण्ड के पास स्थित जिनालयों का विस्तृत विवरण इस प्रकार है
यहाँ जंबूद्वीप, सुमेरुपर्वत की रचना, त्रिकाल चौबीसी जिनालय, कमल मंदिर, त्रिमूर्ति जिनालय, पहाड़ी पर भगवान शान्तिनाथ, कुंथुनाथ व अरहनाथ जिनालय; प्राचीन जिनालय आदि प्रमुख दर्शनीय है। एक विशाल टीलेनुमा आकृति में त्रिकाल चौबीसी की भव्य संरचना है। सर्वोच्च भाग पर अति मनोहर भगवान आदिनाथ की विशाल पद्मासन प्रतिमा विराजमान हैं। इस तीर्थ-क्षेत्र पर गणिनीप्रमुख विदुषी आर्यिका श्री ज्ञानमति माता जी का सान्निध्य प्रायः उपलब्ध रहता है। आपकी ही प्रेरणा के परिणामस्वरूप यह तीर्थ-क्षेत्र दिनों-दिन उन्नति के शिखर की ओर अग्रसर हो रहा है। 186 - मध्य भारत के जैन तीर्थ