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________________ ४. सर्वतीर्थमहर्षिकुलक ५. चन्द्रप्रमचरित्र ६. यात्रास्तव ७. रुचितरुचिदण्डकस्तुति ८. चतुर्विशतिजिनस्तोत्र ६. चतुर्विशति जिन स्तवस्तोत्र १०. वासुपूज्य यमकमय स्तोत्र ११. पार्श्वनाथ स्तोत्र १२. पार्श्वस्तोत्र १३. बावरी १४. वीरजन्माभिषेक १५. पालनपुरवासुपूज्य वोली १६. वीसलपुरवासुपूज्य बोली १७. शान्तिनाथ बोली स्वतन्त्र लेखन के अतिरिक्त जिनेश्वर 'द्वितीय ने अन्य लेखकों के ग्रन्थों को संशोधित भी किया था। १०१३० श्लोक-परिमाण में निबद्ध 'प्रत्येक बुद्ध चरित' महाकाव्य का संशोधन इन्होंने ही किया था। इस प्रन्थ के कर्ता जिनरत्नसूरि लक्ष्मीतिलक हैं। समय-संकेत:-आपका जन्म सं० १२४५ में हुआ एवं स्वर्गारोहण सं० १३३१ में । अतः ये तेरहवीं-चौदहवीं शदी के शासन-प्रमावक आचार्य सिद्ध होते हैं। धर्मानुरागी श्रेष्ठि अभयचन्द्र श्रेष्ठि अभयचन्द्र अत्यन्त धनाढ्य, कर्मवीर तथा दानवीर हुए। आपकी धर्मनिष्ठता की छाप स्वयं खरतरगच्छाचार्यों पर थी। उन्होंने इनकी धर्म-भावना की मुक्तकण्ठ से अभ्यर्थना की है। २३६
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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