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________________ दासानुदासा इव सर्व देवा, यदीय पादाब्जतले लुठन्ति। मरुस्थली कल्पतरुः सजीयात् युगप्रधानो जिनदत्तसूरिः॥ अलौकिक प्रसंग :-युगप्रधान जिनदत्तसूरि के यौगिक और चारित्रिक बल से निष्पन्न अनेक विलक्षण कार्य प्रसिद्ध हैं। उन कार्यों का विवरण यत्र-तत्र उपलब्ध होता है। ___ आचार्य जिनदत्तसूरि एक महान् चमत्कारिक पुरुष माने गये हैं। उनके बारे में लिखा है अंबड़ सावय कर लिहिय, सोवन अखर अंब। जुगपहाण जगि पयडियउए, सिरि सोहम पडिबिंब ॥ जिण चोसठि जोगिणी जितिय, खित्तवाल बावन्न | डाइणि साइणि विभूसीय, पहुवइ नाम न अन्न । सूरि मंत्र बलि कर सहिय, साहिय जिण धरणिद । सावय साविय लख इग, पडिबोहिय जण वृन्द ॥ अरि करि केसरी दुट्टबल, चउविह देव निकाय । आण न लोपि कोइ जगि, जसु पणमइ नरराय ।। युगप्रधान पदप्राप्ति एवं ६४ योगिनियों को प्रतिबोध देने जैसे उल्लेख गणधरसार्द्धशतक वृत्ति में भी मिलते हैं, जो कि एक प्रमाणिक प्रन्थ मान्य है। परवर्ती गुर्वावलियों में अन्य अनेक घटनाओं का समावेश हुआ है, जिन्हें चमत्कारिक तथा अलौकिक घटनाएँ कहा जा सकता है। यथा-प्रथमानुयोग प्रन्थ प्राप्ति, सोमराज प्रभृति देवों द्वारा भक्ति करना, अजमेर में विद्युत-स्थंभन, मुल्ला-पुत्र को जीवनदान १ वृद्धाचार्य प्रबन्धावली (५) २ श्री जिनदत्तसरि स्तुति, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृष्ठ ४ १७६
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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