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६४. लघु अजितशान्तिस्तवबालावबोध, कर्ता उपाध्याय देवचन्द्र . ६५. नन्दीश्वर स्तोत्रटीका, कर्ता उपाध्याय साधुसोम ६६. भावारिवारणस्तोत्रटीका, कर्ता उपाध्याय जयसागर ६७. भावारिवारणस्तोत्रटीका, कर्ता उपाध्याय मेरुसुन्दर ६८. भावारिवारणस्तोत्र, कर्ता उपाध्याय क्षेमसुन्दर... ६६. भावारिवारणस्तोत्र टीका, कर्ता चरित्रवर्धन ७०. भावारिवारणस्तोत्र टीका, कर्ता मतिसागर ७१. भावारिवारणस्तोत्रावचूरि, कर्ता अज्ञात ७२. भावारिवारणस्तोत्र बालावबोध, कर्त्ता उपाध्याय मेरुसुन्दर ७३. भावारिवारण पादपूर्तिस्तोत्र, कर्ता गणि पदमराज ___ समय-संकेत :-आचार्य जिनवल्लभसूरि का समय विक्रम की बारहवीं शदी है। इनका जन्म-समय विक्रम की बारहवीं शदी का पूर्वार्द्ध है। वि० सं० ११६७ में इनका देहावसान हुआ। विद्वत्रत्न आचार्य हरिसिंहसूरि :
जीवन-वृत्त :-हरिसिंहसूरि एक उद्भट विद्वान आचार्य थे। इन्होंने आचार्य जिनदत्तसूरि को शास्त्रीय विद्याध्ययन करवाया था। इनके गुरु उपाध्याय धर्मदेव थे। इनके एक भाई ने भी प्रव्रज्या ग्रहण की थी, जो गणि सर्वदेव के नाम से उल्लिखित है। पट्टावलियों के अनुसार इन्होंने मृत्यु के बाद स्वर्गारोहण किया और जिनदत्तसूरि को देवस्वरूप में दर्शन भी दिया था। पश्चात्वती विद्वानों ने उक्त तथ्यों के व्यतिरिक्त अन्य उल्लेख नहीं किये हैं। ___ समय-संकेत :-ये बारहवीं शदी में हुए थे। प्रबुद्धचेता गणि रामदेव :
जीवन-वृत्त :-रामदेव के सम्बन्ध में गणधर सार्द्धशतक वृहद् वृत्ति में सुमति गणि ने लिखा है कि "स हि भगवान् जिनवल्लभसूरि
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