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________________ पवित्र/विशुद्ध आचारवन्त थे। वह ऐतिहासिक प्रसंग, जहाँ अणहिलपुर पत्तन में वहाँ के राजा दुर्लभराज और सम्भ्रान्त जनों की सन्निधि में चेत्य वासियों के साथ आचार-परीक्षण, जीवन-परीक्षण, चर्यानुशीलन आदि वे सन्दर्भ में न केवल विचार-मन्थन हुआ, अपितु साक्षात् पर्यावलोकन भी हुआ वहाँ सबको इनके विद्या-जीवितव्य और चारित्र-जीवितव्य की सच्चाई ने में प्रभावित किया। ऐतिहासिकों के अनुसार राजा द्वारा आचार्यवर के लिए अभिहित 'खरतर' शब्द उनके जीवन की वैचारिक और कार्मिक पवित्रत का संवाहक बन गया, जो उनके आध्यात्मिक शक्ति-पुंज पर टिकी थी व्याकरण द्वारा प्रस्तुत अर्थ ने सहज ही अपनी संगति साध ली। खरतरगच्छ जैन-परम्परा का वह ज्योतिर्मय आम्नाय है, जिसने आचार्य अभयदेवसूरि, जिनवल्लभसूरि, जिनदत्तसूरि, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि, अकबर-प्रतिबोधक जिनचन्द्रसूरि, महोपाध्याय समयसुन्दर, योगीराज आनन्दघन, उपाध्याय देवचन्द्र जैसे प्रखर प्रज्ञा एवं गहन साधना के धनी सृजनशील महापुरुषों को जन्म दिया, जिन्होंने न केवल जैन-परम्परा को वरन् भारतीय चिन्तनधारा और जीवन-धारा को एक नया आलोक दिया, पद-दर्शन दिया। साध्वीवर्ग में प्रवर्तिनी विचक्षणश्री जेसी महिमा मण्डित आदर्श साध्वी और गृहस्थों में करमचन्द बच्छावत जैसे योद्धा एवं · मन्त्री, नाहटा मोतीशाह सेठ और रायबहादुर बद्रीदास जौहरी जैसे दानवीर और अगरचन्द नाहटा जैसे राष्ट्रीय स्तर के साहित्य-सेवी इसी गच्छ की देन है। सचमुच, वे सब भारतीय इतिहास के शाश्वत प्रकाश-स्तम्भ बन गये । अपरिमित ज्ञान-सम्पदा के धनी आचार्य अभयदेवसूरि को कौन भूल सकता है, जिनके द्वारा लिखित नव अंग आगमों की टीकाएँ हमें उपलब्ध हैं। उनका कितना बड़ा उपकार रहा धार्मिक जगत् पर। इसी प्रकार महामहिम दादा गुरुदेवों का भी राजाओं और प्रजाजनों-सबको धार्मिक उपदेश देने की दृष्टि से, सामुदायिक रूप में, जातीय रूप में, आध्यात्मिक एवं चारित्रिक ज्योति जगाने की दृष्टि से जो अकथनीय/अप्रतिम योगदान रहा है, क्या कभी भुलाया जा सकता है ? आज ऐसे हजारों-लाखों लोग हैं, जिनके रोम-रोम में दादा गुरुदेवों के प्रति श्रद्धा और आस्था बसी है। आज जैनधर्म में जहाँ एक भी व्यक्ति को दीक्षित कर पाना भारी दुष्कर प्रतीत होता है, वहाँ जरा कल्पना कीजिए, कितनी प्रभावकता इन महापुरुषों में थी कि उन्होंने लाखों-के-लाखों व्यक्तियों को जैनधर्म में परिणत किया। XI
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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